Haryana: 3 सप्ताह में 7 बच्चों की मौत से हरियाणा के गांव में दहशत, बीमारी की पहचान करने में जुटा स्वास्थ्य विभाग
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली:  कोरोना की तीसरी लहर (COVID-19 Third Wave) के खतरे के बीच देश के कई हिस्सों में बच्चे डेंगू (Dengue) सहित अन्य बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. इस बीच हरियाणा (Haryana) के पलवल (Palwal) जिले में तीन सप्ताह के भीतर 7 बच्चों की मौत से क्षेत्र में डर का माहौल है. मृत बच्चों की उम्र 14 वर्ष से कम है. बच्चों की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की जांच जारी है. What is Multisystem Inflammatory Syndrome? इस पोस्ट COVID कॉम्प्लिकेशन से है बच्चों को खतरा, MIS-C लीवर और किडनी को कर सकता है प्रभावित

पलवल से 20 किलोमीटर दूर चिल्ली (Chilli) गांव में ऐसी दहशत है कि स्वास्थ्य अधिकारी बच्चों की मौत के कारणों की जांच के लिए एक पंचायत घर में डेरा डाले हुए हैं. गांव के निवासियों और स्वास्थ्य अधिकारी डेंगू, निमोनिया, गैस्ट्रोएंटेराइटिस से लेकर स्वच्छता की कमी के कारण वेक्टर जनित रोगों तक का हवाला दे रहे हैं.

गांव के निवासियों का दावा है कि मौतें डेंगू के कारण हुई हैं. वहीं अधिकारियों का कहना है कि उनकी टीम जिसमें एक महामारी विज्ञानी, एक विज्ञान अधिकारी और स्वास्थ्य निरीक्षक शामिल हैं, इसकी जांच कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं हो पाया है. अधिकारियों का कहना है कि ऐसी संभावना है कि मौतें गांव में खराब स्वच्छता के कारण उत्पन्न होने वाली कई बीमारियों के कारण हो हुई हो.

अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने घर-घर जाकर सर्वेक्षण के दौरान पिछले 20 दिनों में सात मौतों की गिनती की है. वहीं  गांव के निवासियों और सरपंच का कहना है कि कम से कम नौ बच्चों की मौत हो गई है.

पलवल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ ब्रह्मदीप संधू ने कहा, "हम डेंगू से इंकार नहीं कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल हमें गांव से लिए गए नमूनों से कोई डेंगू पॉजिटिव रिपोर्ट नहीं मिली है. होने वाली मौतों में से दो संदिग्ध निमोनिया से थीं, एक गंभीर एनीमिया का मामला था, एक गैस्ट्रोएंटेराइटिस से बुखार के कारण था. एक मौत तेज बुखार और एक बुखार के कारण थी. वहीं कल हुई मौत के मामले में इससे जुड़ी कोई बीमारी नहीं थी."

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि मृत 6 बच्चों में से 5 बच्चों के लक्षण समान थे. उनके परिवार के सदस्यों का कहना है कि तेज बुखार, दाने, उल्टी, कम प्लेटलेट काउंट के कारण बच्चों की मौत हुई. उनका कहना है कि बुखार के 3-4 दिनों के भीतर बच्चों की मौत हो गई.