अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर लगभग तैयार है. 22 जनवरी 2024 को रामलला भव्य मंदिर में विराजमान होगें. इस अवसर पर आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐसे वकील की कहानी, जिसने राम मंदिर केस में फीस के तौर पर 1 भी रुपया नहीं लिया. वकील पिता और बेटे की इस जोड़ी ने सुप्रीम कोर्ट में हिंदू पक्ष को राम जन्मभूमि केस में जीत दिलाई, जिसके बाद मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया.
पिता हरि शंकर जैन और बेटा विष्णु शंकर जैन राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद, काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद और कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह में हिंदू पक्ष की ओर से पैरोकार हैं, जिसमें राम मंदिर पर फैसला हिंदू पक्ष में आया और भव्य राम मंदिर बनकर तैयार है. Ram Mandir Gold Door Photo: राम मंदिर में लगा सोने का पहला दरवाजा, अगले 3 दिन में लगेंगे ऐसे 13 स्वर्णिम कपाट, देखें तस्वीरें
हरि शंकर जैन ने बताया कि- 'जब मैंने अपने पिता से कहा कि मैंने राम जन्मभूमि का केस लड़ने का फैसला किया है तो मेरे पिता ने 2 दिनों तक खाना नहीं खाया. मैंने अपनी मां के दिखाए रास्ते पर चलने का फैसला किया. मेरे पिता नेम चंद्र जैन न्यायिक सेवाओं में थे, लेकिन वे इसके सख्त खिलाफ थे. पिता चाहते थे कि मैं हाई कोर्ट में न्यायाधीश बनूं.
हरिशकंर जैन मूल रूप से लखनऊ से ताल्लुक रखते हैं. जैन को वकालत करते-करते 47 साल हो गए हैं. उन्होंने 1976 में वकालत शुरू की थी. वहीं उनके बेटे विष्णु जैन अपने पिता के नक्शे-कदम पर चल रहे हैं. उन्होंने साल 2010 में बालाजी लॉ कॉलेज से डिग्री हासिल की. इसके बाद वकालत में अपना करियर शुरू कर दिया और पिता के साथ तब से लेकर अब तक हैं. उन्होंने 2016 में सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता का पेपर पास करके नई उपाधि हासिल की थी. उन्हें सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने का लाइसेंस मिला है. विष्णु ने श्रीराम जन्मभूमि मामले से प्रैक्टिस शुरू की. BREAKING: राम मंदिर उद्घाटन, UP में 22 जनवरी को सभी स्कूल-कॉलेज की छुट्टी, शराब की बिक्री भी बंद, CM योगी का ऐलान
हिंदू धर्म से संबंधित करीब 102 मामलों से हरिशंकर जैन और विष्णु जैन जुड़े हैं. ज्यादातर मामलों में पिता-पुत्र की जोड़ी ने जीत हासिल की. जबकि कुछ केस अभी भी चल रहे हैं. मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि के मामले से लेकर कुतुब मीनार बनाने के लिए मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा तोड़े गए 27 हिंदू और जैन मंदिरों का मामला, ताजमहल के पूर्व शिवमंदिर होने का दावा, वर्शिप एक्ट और वक्फ एक्ट 1995 को चुनौती देने के मामले को यही दोनों संभाल रहे हैं.