हेयर ट्रांसप्लांट बना मौत का कारण; कानपुर में दो इंजीनियरों की मौत, कहां हुई गलती?
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कानपुर में दो इंजीनियरों की हेयर ट्रांसप्लांट के दौरान हुई मौतों ने सभी को चौंका दिया है. आमतौर पर एक मामूली और सुरक्षित समझे जाने वाली यह कॉस्मेटिक प्रक्रिया, दो परिवारों के लिए जीवनभर का दुख बन गई. दोनों पीड़ितों की मौत ट्रीटमेंट के 24 घंटे के भीतर हो गई, जिससे सवाल उठने लगे हैं कि आखिर गलती कहां हुई? जिन लोगों की मौत हुई वे विनीत दुबे (पनकी पावर प्लांट में सहायक अभियंता) और मयंक कटियार – (फर्रुखाबाद से इंजीनियर) हैं. दोनों ने डॉक्टर अनुष्का तिवारी के कानपुर स्थित 'एम्पायर क्लिनिक' में हेयर ट्रांसप्लांट करवाया था. घटना के बाद डॉक्टर फरार हैं और क्लिनिक बंद कर दिया गया है, यहां तक कि साइनबोर्ड भी हटा दिए गए हैं.

क्या हुआ था सर्जरी के बाद?

विनीत दुबे की पत्नी जया त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई. उन्होंने बताया कि सर्जरी के बाद विनीत का चेहरा बुरी तरह सूज गया था और उन्हें असहनीय दर्द हो रहा था. अधिकारी एडीसीपी विजेंद्र द्विवेदी के अनुसार, ट्रांसप्लांट के दौरान हुए इन्फेक्शन को नजरअंदाज किया गया, जिससे हालत बिगड़ती गई और अंत में मौत हो गई.

दूसरे पीड़ित मयंक कटियार के भाई ने बताया कि उन्हें भी सर्जरी के बाद सीने में दर्द और सूजन की शिकायत हुई, और अगले दिन उनका निधन हो गया.

डॉक्टर पर लापरवाही का केस दर्ज

विनीत की पत्नी की शिकायत पर 9 मई को डॉक्टर अनुष्का तिवारी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 106(1) के तहत लापरवाही से मौत का मामला दर्ज किया गया है. एसीपी कल्याणपुर अभिषेक पांडे के अनुसार, डॉक्टर को 6 नोटिस भेजे जा चुके हैं, लेकिन उन्होंने अब तक कोई जवाब नहीं दिया.

क्या डॉक्टर हेयर ट्रांसप्लांट के लिए योग्य थीं?

चौंकाने वाली बात यह है कि डॉक्टर अनुष्का तिवारी के पास केवल BDS (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी) की डिग्री है, जो केवल डेंटल इलाज के लिए मान्य होती है. हेल्थ गाइडलाइन्स के अनुसार, केवल त्वचा विशेषज्ञ (Dermatologist) या प्लास्टिक सर्जन ही हेयर ट्रांसप्लांट कर सकते हैं. अब तक कोई प्रमाण नहीं मिला है कि तिवारी के पास हेयर ट्रांसप्लांट की कोई विशेष योग्यता या प्रमाणपत्र है.

अन्य मरीजों का अनुभव क्या कहता है?

एक अन्य मरीज रामजी सचान, जिन्होंने इसी क्लिनिक में हेयर ट्रांसप्लांट कराया था, उन्होंने बताया कि उनका इलाज 5-6 घंटे चला और उन्हें भी सूजन और दर्द हुआ. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रिस्क्रिप्शन पर डॉक्टर का नाम या पंजीकरण नंबर नहीं था, और उन्होंने पहले ही फीस एडवांस में जमा कर दी थी.

जांच समिति गठित

कानपुर के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. हरि दत्त नेगी ने तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है. यह समिति जांच करेगी कि क्लिनिक किस प्रकार संचालित हो रहा था, वहां कितने मरीजों का इलाज हुआ, क्या सर्जरी योग्य विशेषज्ञों द्वारा की जा रही थी या नहीं

यह घटना सिर्फ एक कॉस्मेटिक गलती नहीं है, यह चेतावनी है. सस्ती कीमत या इंस्टाग्राम एड देखकर बिना जानकारी के किसी भी क्लिनिक में जाना, आपकी जान पर भारी पड़ सकता है. अगर आप कोई भी मेडिकल या कॉस्मेटिक ट्रीटमेंट करवा रहे हैं, डॉक्टर की योग्यता, क्लिनिक का लाइसेंसिंग और ट्रैक रिकॉर्ड और रिव्यू और पुराने मरीजों का अनुभव जरूर चेक करें.