गुजरात: राजकोट और अहमदाबाद में बच्चों की मौत के मामले में सीएम विजय रुपाणी ने साधी चुप्पी, सवाल पूछे जाने पर जवाब दिए बिना ही चलते बने, देखें वीडियो

गुजरात में बच्चों की मौत के हैरान करने वाले आंकड़ों के सामने आने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी से जब सवाल किए गए तो उन्होंने चुप्पी साध ली. रविवार को जब पत्रकारों ने सीएम विजय रुपाणी से राजकोट और अहमदाबाद के अस्पतालों में हुई बच्चों की मौत को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने उसका कोई जवाब नहीं दिया और जवाब दिए बिना ही वहां से चले गए.

गुजरात के सीएम विजय रुपाणी (Photo Credits: PTI)

गांधी नगर: कोटा (Kota) के जेके लोन (JK Lon Hospital) अस्पताल में मासूम बच्चों मौत का मुद्दा देशभर में गर्माया हुआ है. इसी बीच अब गुजरात (Gujarat) के राजकोट और अहमदाबाद के अस्पतालों में हुई बच्चों की मौत (Infants Death) का मामला भी तूल पकड़ने लगा है. बता दें कि एक महीने के भीतर राजकोट (Rajkot) के सिविल अस्पताल (Civil Hospital) में 111 बच्चों की मौत हुई है, जबकि अहमदाबाद (Ahmedabad) के सिविल अस्पताल (Civil Hospital) में 85 बच्चों की मौत हो गई है. राजकोट और अहमदाबाद के अस्पतालों में हुई मासूम बच्चों की मौत के आंकड़ों ने हर किसी को हैरान कर दिया है. ऐसे में राज्य सरकार और प्रशासन पर सवाल उठना लाजमी है.

गुजरात में बच्चों की मौत के हैरान करने वाले आंकड़ों के सामने आने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी (CM Vijay Rupani) से जब सवाल किए गए तो उन्होंने चुप्पी साध ली. रविवार को जब पत्रकारों ने सीएम विजय रुपाणी से राजकोट और अहमदाबाद के अस्पतालों में हुई बच्चों की मौत को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने उसका कोई जवाब नहीं दिया और जवाब दिए बिना ही वहां से चले गए. यह भी पढ़ें: कोटा के बाद अब गुजरात से आया बच्चों की मौत का हैरान करने वाला आंकड़ा, एक महीने के भीतर राजकोट में 111 और अहमदाबाद में गई 85 मासूमों की जान

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजकोट के अस्पताल में मरने वालों में सभी बच्चे नवजात थे और 111 बच्चों में से 96 प्री-मैच्योर डिलीवरी से हुए थे, इसके साथ ही उनका वजन सामान्य से बहुत कम था. वहीं अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में हुई 85 बच्चों की मौत अस्पताल की सुविधाओं और प्रशासन की पोल खोल रही हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो राजकोट में साल 2019 में करीब 1235 बच्चों की मौत हुई है, जबकि अहमदाबाद साल 2019 में 253 बच्चों ने जान गंवाई है.

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