कोरोना संक्रमण की बढ़ती लहर के बीच यूपी में रोजागर की निरंतरता के लिए सरकार जुटी

कोरोना संक्रमण की बढ़ती लहर के बीच यूपी में शहरों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक लोगों के लिए रोजगार के अवसर मुहैया कराने पर सरकार का पूरा जोर है.

जॉब/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

लखनऊ, 1 मई : कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की बढ़ती लहर के बीच यूपी में शहरों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक लोगों के लिए रोजगार के अवसर मुहैया कराने पर सरकार का पूरा जोर है. पिछले साल की तरह लोगों के सामने रोजगार का संकट ना आए, इसके लिए निवेश संबंधी प्रस्तावों को तेजी से स्वीकृति प्रदान करने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा तथा अन्य योजनाओं में रोजगार मुहैया कराने के सरकार ने निर्देश दिए गए हैं. इसी के तहत सरकार ने वाराणसी, गोरखपुर, कानपुर, आगरा, मुरादाबाद और आजमगढ़ में इंडस्ट्रियल पार्क (Industrial Park) बनाए जाने का फैसला किया है, ताकि प्रदेश में निवेश के इच्छुक निवेशकों को सस्ते में जमीन मिल सके. इसके अलावा बरेली, लखनऊ, अलीगढ़ और सहारनपुर में आईटी पार्क अगले महीने से बनाया जाने लगेगा. एक आईटी पार्क में पांच हजार से अधिक युवाओं को रोजगार मिलेगा. इनके निर्माण का कार्य जल्द से जल्द शुरू किया जाए, इसके निर्देश दिए गए हैं.

यूपी सरकार (UP Government) के अधिकारियों का कहना है कि निवेशकों से संपर्क कर बरेली, लखनऊ, अलीगढ़, मेरठ, सहारनपुर, गोरखपुर और वाराणसी में आईटी पार्क का निर्माण कार्य शुरू कराया जा रहा है. इन सभी जिलों में आईटी पार्क के लिए जमीन चिंहित कर ली गई है. लखनऊ में बनने वाला आईटी पार्क एयरपोर्ट के सामने यूपीडीपीएल की जमीन पर बनेगा. हर आईटी पार्क में पांच हजार लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया होंगे. जिसके चलते इलेक्ट्रानिक्स विभाग के अफसर इन पार्कों का निर्माण कार्य जल्द से जल्द शुरू हो, इसके लिए निवेशकों के संपर्क में हैं. इसी तरह सूबे के छह शहर वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, कानपुर, मुरादाबाद और आजमगढ़ में इंडस्ट्रियल पार्क स्थापित करने का निर्णय लिया गया है. सरकार का मत है कि उक्त पार्कों के बनने से इन शहरों में लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार मिलेगा. यह भी पढ़ें : COVID-19: कोविड से लड़ने के लिए केंद्र ने राज्यों को दिए 8,873.6 करोड़ रुपये

इसके अलावा छोटे उद्योगों को भी सरकार कच्चा माल उपलब्ध कराने पर ध्यान दे रही हैं, ताकि उनके उत्पादन में रुकावट ना आने पाए. इसके साथ ही सरकार ने शहरी क्षेत्रों के उद्योग-धंधों में लगे श्रमिकों के सामने रोजगार का संकट ना हो इस पर राज्य सरकार ने पहले से ही उद्योगों को निरंतर चलाने के निर्देश दे रखे हैं. यहां तक कि कोरोना कर्फ्यू के दौरान भी यह निर्देश है कि आवश्यक सेवाओ की आपूर्ति तथा उत्पादन व रोजगार की निरंतरता के लिए औद्योगिक इकाइयों को निरंतर चलाया जाए. यह प्रयास किया जा रहा है कि किसी भी फैक्ट्री में उत्पादन बंद ना हो. इस बात का खास ध्यान रखा जा रहा है कि दवाएं, सेनेटाइजर, चिकित्सीय उपकरणों के साथ ही खाद्य पदार्थ, ब्रेड, बिस्किट, आटा, चावल, दाल, खाद्य तेल, चीनी, पीने का पानी, दुग्ध उत्पाद तथा अन्य जरूरी उत्पादों के उत्पादन पर कोई असर ना पड़े. इनके उत्पादन को और बढ़ाने के की कोशिश की जा रही है. खाद, कीटनाशक, बीज उत्पादन, कृषि संयंत्रों से संबंधित उत्पाद, डिटरजेंट एवं साबुन, साल्वेंट एक्सट्रैंक्शन, खाद्य प्रसंस्करण की इकाइयां आदि उद्योगों की क्षमता वृद्धि के आदेश भी दिए गए हैं.

इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार मुहैया कराने पर भी अब अधिकारी ध्यान देने लगे हैं. इनका कहना है कि पंचायत चुनाव की मतगणना संपन्न होने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत काम की मांग में भारी वृद्धि होने का संभावना है. पंचायत चुनाव चलने के कारण भी ग्रामीणों की व्यस्तता उसमें अधिक है, इसलिए भी काम की मांग में कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं है. जैसे ही गांवों में लोगों की दिनचर्या जब सामान्य होगी तब रोजगार की मांग बढ़ेगी. तब गांवों में गांव का अपना प्रधान होगा जिससे मनरेगा के तहत कामों का चयन भी आसान हो जाएगा. इस सोच के आधार पर अब मनरेगा में ग्रामीणों को ज्यादा से ज्यादा काम मिले, इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है.

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