पणजी, 31 दिसंबर : गोवा विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने और उसके विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बावजूद 2017 में गोवा में सरकार बनाने में असमर्थ रही कांग्रेस इकाई को पिछले दो कार्यकाल से आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने भाजपा का मुकाबला करने और लोकतंत्र को खत्म करने की पार्टी की रणनीति का आरोप लगाते हुए उसका मुकाबला करने का विश्वास जताया है. गोवा के लिए दलबदल कोई नई बात नहीं है. 1963 के बाद से राज्य में विभिन्न दलों के अलग-अलग मुख्यमंत्रियों (13 चेहरों) को 30 बार शपथ दिलाई गई है और राजनीतिक संकटों के कारण पांच बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया है. 2017 के बाद से राज्य में दलबदल के दो बड़े दौर हुए हैं, जिसमें कांग्रेस विधायकों ने भाजपा में शामिल होकर पाला बदल लिया. जिस वजह से भाजपा को 2017-22 तक सत्ता बरकरार रखने और अब मजबूत होने में मदद मिली है. 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्या होने के बावजूद, भाजपा के पास सिर्फ 13 सीटें थीं. फिर भी भाजपा ने सरकार बनाने में कांग्रेस को पछाड़ दिया. कांग्रेस के दलबदलुओं का अपनी पार्टी में स्वागत कर कार्यकाल पूरा किया.
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस 2017 में अपने मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर फैसला नहीं कर सकी थी. तीन वरिष्ठ नेता रवि नाइक, दिगंबर कामत और लुइजिन्हो फलेरियो शीर्ष पद हासिल करने की दौड़ में थे. यहां तक कि कांग्रेस कार्यालय में अराजकता देखने के बाद कांग्रेस को समर्थन देने के इच्छुक निर्दलीय विधायक ने भी अपना मन बदल लिया और भाजपा का समर्थन किया. इस प्रकार भाजपा क्षेत्रीय दलों और निर्दलियों के समर्थन से सत्ता में आ गई. मार्च 2017 में तत्कालीन कांग्रेस विधायक विश्वजीत राणे ने पार्टी और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए. जिससे कांग्रेस कमजोर होना शुरू हो गई. राणे ने तत्कालीन कांग्रेस विधायक रवि नाइक के बेटे और कांग्रेस उम्मीदवार रॉय नाइक के खिलाफ उपचुनाव जीता और भाजपा सरकार में मंत्री बने. यह भी पढ़ें : PM Modi in Mann Ki Baat: भारत के लिए जबरदस्त होगा साल 2024, आत्मविश्वास से भरा है पूरा देश, मन की बात में बोले पीएम मोदी
अक्टूबर 2018 में अन्य दो कांग्रेस विधायक सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोप्ते ने भी इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल होने के बाद उपचुनाव में जीत हासिल की. पाला बदलना यहीं नहीं रुका. 10 जुलाई 2019 को विपक्ष के नेता चंद्रकांत कावलेकर के साथ 10 और विधायकों के भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस को तीसरा झटका लगा. हालांकि, कावलेकर छह अन्य दलबदलुओं के साथ फरवरी 2022 में विधानसभा चुनाव हार गए. फरवरी 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले रवि नाइक भाजपा में शामिल हो गए और पोंडा से जीत हासिल की. अब रवि नाइक मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की कैबिनेट में मंत्री हैं. लुइजिन्हो फलेरियो तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए और पश्चिम बंगाल से राज्यसभा सांसद बन गए. तब वरिष्ठ नेताओं के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस हैरान थी.
2022 में भाजपा सरकार के दूसरे कार्यकाल में पूर्व मुख्यमंत्री दिगंबर कामत, (तत्कालीन) विपक्ष के नेता माइकल लोबो, डेलिलाह लोबो, केदार नाइक, संकल्प अमोनकर, राजेश फलदेसाई, एलेक्सो सिकेरा और रुडोल्फ फर्नांडीस, ये आठ विधायक 14 सितंबर 2022 को भाजपा में शामिल होकर पार्टी बदल गए. इस राजनीतिक घटनाक्रम की वजह से 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के केवल 3 विधायक रह गए. दलबदल और पार्टी के विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बारे में बोलते हुए एआईसीसी के पूर्व सचिव गिरीश चोडनकर ने कहा, ''अगर उन्होंने 2017 में सरकार बनाई होती तो आज तक भाजपा सत्ता से बाहर होती.'' उन्होंने आगे कहा कि 2017 के चुनाव के बाद हमारे 13 नेता भाजपा में शामिल हो गए. उनमें से दस ने दलबदल कर लिया और तीन भाजपा के सत्ता में होने के कारण इस्तीफा देकर शामिल हो गए. फिर भी हम अपने मतदाताओं को समझाकर स्थिति से निपटने में कामयाब रहे और 2022 में 11 विधायक चुन सके.
लोगों ने 2018 के दलबदलुओं के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया और 2022 के चुनाव में उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. अब पिछले साल दलबदल करने वालों को भी इसी तरह का सामना करना पड़ेगा. क्यूपेम निर्वाचन क्षेत्र से चंद्रकांत कवलेकर को कैसे हराया, इस बारे में बताते हुए गिरीश चोडनकर ने कहा कि उन्होंने शहर के वोटों पर ध्यान केंद्रित करके पूर्व की ताकत को खत्म कर दिया. क्यूपेम में हमारे पास कोई नेता नहीं था क्योंकि कवलेकर कांग्रेस के टिकट पर चार बार जीत चुके थे. हालांकि, हमने उम्मीद नहीं खोई और अपने पारंपरिक मतदाताओं के समर्थन से हम एक नया चेहरा चुन सके. निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर संगठन खड़ा करना बहुत कठिन हो जाता है, जब अचानक नेता विश्वासघात कर दूसरे दलों में शामिल हो जाते हैं.
उन्होंने टीएमसी, आप और रिवॉल्यूशनरी गोअन्स पार्टी (आरजीपी) का जिक्र करते हुए कहा, ''हमारे नेताओं के भाजपा में शामिल होने के बावजूद हमारे वोट शेयर पर कोई असर नहीं पड़ा है. पिछले विधानसभा चुनावों में हमारा वोट शेयर केवल 3 प्रतिशत कम हुआ था और वह भी इसलिए क्योंकि नई पार्टियों ने भी चुनाव लड़ा था.''उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में दलबदल मुद्दे का उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. लोग जानते हैं कि हमने कुछ भी गलत नहीं किया है. हमारे विधायकों ने अपने फायदे के लिए पार्टी बदल ली और भाजपा ने उन्हें विपक्ष को खत्म करने के लिए पार्टी में शामिल किया. ताकि वे लोकतंत्र को खत्म कर सकें, जो उन्होंने गोवा और पूरे देश में शुरू किया है. भाजपा संस्थाओं और लोगों का भी दमन कर रही है.
कुछ नेता केवल टिकट पाने के लिए हमारे साथ आए, उन्होंने हमारी विचारधारा को नहीं चुना. लोग कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वालों की स्थिति देख रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री रवि नाइक को 'जोकर' माना जा रहा है और दिगंबर कामत जूनियर प्रमोद सावंत के मंत्रिमंडल में मंत्री बनने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने कहा कि संविधान की दसवीं अनुसूची में संशोधन से लोकतंत्र को बचाने में मदद मिलेगी. इस्तीफा देने वाले विधायकों को उस कार्यकाल में चुनाव लड़ने का मौका नहीं दिया जाना चाहिए. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि दलबदल के मामलों का निपटारा समयबद्ध होना चाहिए. ऐसे मामलों में समय पर न्याय मिलना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों.