गिरिराज सिंह बोले 'अलविदा पीएफआई', जदयू नेता बोले- लोग आपको विदाई देंगे
बिहार में पीएफआई पर प्रतिबंध के बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, अलविदा, पीएफआई और जदयू के एक नेता ने पलटवार करते हुए कहा कि लोग 2024 में उनकी बीजेपी को विदाई देंगे. गिरिराज सिंह ने कहा, पीएफआई के प्रतिबंध का स्वागत किया जाना चाहिए.
पटना, 29 सितम्बर : बिहार में पीएफआई पर प्रतिबंध के बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, अलविदा, पीएफआई और जदयू के एक नेता ने पलटवार करते हुए कहा कि लोग 2024 में उनकी बीजेपी को विदाई देंगे. गिरिराज सिंह ने कहा, पीएफआई के प्रतिबंध का स्वागत किया जाना चाहिए. इस फैसले से देश में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने में मदद करेगा और गरीब मुसलमानों को भटकने से बचाया जाएगा, पीएफआई को अलविदा. उन्होंने आगे कहा- 1990 में जब (राजद प्रमुख) लालू जी (लालू प्रसाद) बिहार के मुख्यमंत्री बने, तो वह भाजपा और आरएसएस की सराहना कर रहे थे. अब, वह अपने मुस्लिम वोट बैंक को बरकरार रखने के लिए आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं.
गिरिराज सिंह के बयान के बाद जदयू के पूर्व विधायक गुलाम रसूल बल्यावी ने कहा, जब देश के मतदाता 2024 में भाजपा के कार्यकाल में आपके द्वारा किए गए कार्यों को जानने की मांग करेंगे, तो उनको जवाब दें. चिंता न करें, देश की जनता जल्द ही आपको अलविदा कह देगी. भाजपा नेताओं को 2024 में अपनी किस्मत का एहसास हो रहा है, इसलिए वे अलविदा कह रहे हैं. इन्होंने कोरोना महामारी के दौरान तब्लीगी जमात को उजागर किया था और एक सप्ताह तक हंगामा किया था. फिर क्या हुआ सबको पता है. यह भी पढ़ें : पीएफआई से पहले आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए था: लालू प्रसाद
गुलाम रसूल बल्यावी ने कहा, केंद्र ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन उसे पीएफआई के अपराध को साबित करने के लिए सार्वजनिक डोमेन में दस्तावेजी सबूत भी पेश करने चाहिए. यह कैसे राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल था और किस विदेशी देशों से फंडिंग की गई थी. मैं नरेंद्र मोदी सरकार से आरएसएस के फंडिंग, उसके बैंक विवरण, लाभार्थियों और वार्षिक कारोबार का विवरण दिखाने के लिए भी कहना चाहता हूं.
आगे बल्यावी ने कहा, नरेंद्र मोदी सरकार पीएफआई पर प्रतिबंध लगाकर बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई जैसे वास्तविक मुद्दों से लोगों का ध्यान हटा रही है. आरएसएस पर भी दो बार प्रतिबंध लगाया गया था और सरदार वल्लभभाई पटेल ने ऐसा किया था. वह स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देश के असली नायक थे. दूसरी ओर, आरएसएस ब्रिटिश सरकार के साथ था.