Chattisgarh: गेवरा खदान एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान बनने के लिए तैयार

नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ स्थित कोल इंडिया की सहायक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (एसईसीएल) की गेवरा खदान एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान बनने के लिए तैयार है. इसकी उत्पादन क्षमता मौजूदा 5.25 करोड़ टन प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 7 करोड़ टन करने के लिए पर्यावरणीय मंजूरी मिल गई है. कोयला मंत्रालय ने यह जानकारी मंगलवार को दी.

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नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ स्थित कोल इंडिया की सहायक कंपनी साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (एसईसीएल) की गेवरा खदान एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान बनने के लिए तैयार है. इसकी उत्पादन क्षमता मौजूदा 5.25 करोड़ टन प्रतिवर्ष से बढ़ाकर 7 करोड़ टन करने के लिए पर्यावरणीय मंजूरी मिल गई है. कोयला मंत्रालय ने यह जानकारी मंगलवार को दी.

कोयला मंत्रालय और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने विस्तार के लिए जल्‍द ही मंजूरी दे दी, क्योंकि गेवरा साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड मेगाप्रोजेक्ट्स में से एक है, जो देश की ऊर्जा सुरक्षा में योगदान देती है.

एसईसीएल के सीएमडी प्रेम सागर मिशा ने कहा, ”कोयला मंत्रालय के मार्गदर्शन में कोल इंडिया टीम ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. हमारा सपना है कि गेवरा अत्याधुनिक खनन कार्यों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खदान बने और यह उस दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.” यह भी पढ़े :One Nation One Election: 2029 से एक साथ होंगे सारे चुनाव? एक देश एक चुनाव पर अगले हफ्ते आ सकती है लॉ कमीशन की रिपोर्ट

वित्तवर्ष 22-23 के लिए वार्षिक उत्पादन 5.25 करोड़ टन तक पहुंचने के साथ गेवरा पिछले साल देश की सबसे बड़ी कोयला खदान बन गई.

खदान की लंबाई लगभग 10 किमी और चौड़ाई 4 किमी है. इस खदान में सरफेस माइनर, रिपर माइनिंग के रूप में पर्यावरण-अनुकूल ब्लास्ट-मुक्त खनन तकनीक का इस्‍तेमाल किया गया है. खदान के अंदर ओवरबर्डन हटाने के लिए उच्चतम क्षमता वाली एचईएमएम मशीनों में से एक का उपयोग किया जाता है.

इसमें त्वरित और पर्यावरण-अनुकूल कोयला निकासी के लिए कन्वेयर बेल्ट, साइलो और रैपिड लोडिंग सिस्टम से सुसज्जित फर्स्ट-माइल कनेक्टिविटी भी है.

 

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