General Bipin Rawat Anniversary: देश के लिए जनरल बिपिन रावत का जज्बा था अद्वितीय, राष्ट्र को समर्पित रहा जीवन
Late CDS General Bipin Rawat (Photo: PTI)

देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) एक ऐसी महान शख्सियत थे जिन्होंने रक्षा क्षेत्र में भारत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. आतंक के खिलाफ उनकी नीतियों के साथ भारतीय सेना लगातार बढ़ती जा रही थी. उनके नाम मात्र से दुश्मन के पसीने छूट जाते थे. जनरल बिपिन रावत देशप्रेम की अद्वितीय मिसाल थे. उनके निधन के बाद आज 16 मार्च को उनकी पहली जयंती है. पूरा देश इस दिन उन्हें याद कर रहा है.

जनरल बिपिन रावत ने गोरखा राइफल्स से अपने सैन्य करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने 1978 में सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन से अपने सैन्य करियर की शुरुआत की थी और उसके बाद से उनका पूरा कैरियर उपलब्धियों से भरा रहा. 2011 में उन्होंने चौ. चरण सिंह यूनिवर्सिटी से मिलिट्री मीडिया स्टडीज में पीएचडी की डिग्री हासिल की थी.

उन्हें उत्तम युद्ध सेवा मैडल, अति विशिष्ट सेवा मैडल, युद्ध सेवा मैडल, सेना मैडल, विदेश सेवा मैडल इत्यादि कई पदक मिले थे. उन्होंने 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए करगिल युद्ध में हिस्सा लिया था. इसके अलावा उन्होंने कांगो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन का नेतृत्व भी किया था और उस दौरान उन्होंने एक बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड का भी नेतृत्व किया था.

भारतीय सेना की कमान संभाली 

1 सितम्बर 2016 को उन्हें उप-सेना प्रमुख बनाया गया और 31 दिसम्बर 2016 को उन्होंने भारतीय सेना की कमान संभाली थी. उन्होंने सैन्य सेवाओं के दौरान एलओसी, चीन बॉर्डर तथा नॉर्थ-ईस्ट में लंबा समय गुजारा. पूर्वी सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा, कश्मीर घाटी तथा पूर्वाेत्तर सहित अशांत क्षेत्रों में काम करने का उनका लंबा और शानदार अनुभव था.

2016 में उरी में सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद बिपिन रावत के नेतृत्व में 29 सितम्बर 2016 को पाकिस्तान स्थित आतंकी शिविरों को ध्वस्त करने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी. उन्हें ऊंचाई पर जंग लड़ने (हाई माउंटेन वॉरफेयर) तथा काउंटर-इंसर्जेंसी ऑपरेशन अर्थात् जवाबी कार्रवाई के विशेषज्ञ के तौर पर जाना जाता था. सेना प्रमुख पद से रिटायरमेंट से एक दिन पहले ही 30 दिसम्बर 2019 को सरकार द्वारा उन्हें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनाने की घोषणा की गई थी और 1 जनवरी 2020 को वे भारत के पहले सीडीएस बने थे.

युद्ध की चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं में तालमेल बढ़ाना था मुख्य उद्देश्य बतौर सीडीएस जनरल रावत पर तीनों सेनाओं में स्वदेशी साजो-सामान का उपयोग बढ़ाने का दायित्व था और वे सेना के तीनों अंगों के ऑपरेशन, प्रशिक्षण, ट्रांसपोर्ट, सपोर्ट सर्विसेस, संचार, रखरखाव, रसद पूर्ति तथा संयंत्रों में टूट-फूट संबंधी कार्य भी देख रहे थे. सीडीएस के रूप में उनकी नियुक्ति का मुख्य उद्देश्य युद्ध की चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं में तालमेल को बढ़ाना था.

रक्षा सुधारों सहित विविध पहलुओं पर कर रहे थे काम

आज दुनियाभर में सेनाओं में अत्याधुनिक तकनीकों के समावेश के चलते युद्धों के स्वरूप और तैयारियों में लगातार बड़ा बदलाव देखा जा रहा है, ऐसे में देश की सुरक्षा को चाक-चौबंद करने के लिए बेहद जरूरी था कि तीनों सेनाओं की पूरी शक्ति एकीकृत होकर कार्य करे क्योंकि तीनों सेनाएं अलग-अलग सोच से कार्य नहीं कर सकती. दुश्मन के हमलों को नाकाम करने के लिए सेना के तीनों अंगों के बीच तालमेल होना बेहद जरूरी है.

सेना के लिए रणनीति विकसित करने के अलावा सैन्य अधिकारियों और जवानों के बीच विश्वास बनाए रखना भी सीडीएस बिपिन रावत का महत्वपूर्ण दायित्व था और अपने सैन्य अनुभवों के आधार पर इन सभी दायित्वों को बखूबी निभाते हुए वे पहले सीडीएस के रूप में रक्षा सुधारों सहित सशस्त्र बलों से संबंधित विविध पहलुओं पर काम कर रहे थे. सीडीएस रहते सशस्त्र बलों और सुरक्षा तंत्र के आधुनिकीकरण में उनका योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा.