Hyderabad Ganesh Laddu Auction: 1.87 करोड़ रुपये में नीलाम हुआ गणेश लड्डू, जानें हैदराबाद के बंदलागुडा में क्यों बिकी इतनी महंगी मिठाई
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Hyderabad Ganesh Laddu Auction:  हैदराबाद में हर साल की तरफ इस साल भी  बंदलागुडा गणेश लड्डू (Bandlaguda ganesh laddu) की नीलामी हुई. नीलामी को लेकर लोगों की काफी भीड़ उमड़ती हैं.  नीलामी की बोली लगाने के लिए बंदलागुडा में कीर्ति रिचमंड विला  में  सोमवार 16 सितंबर की देर रात रखी गई थी.. जिस नीलामी में में ₹1,87,36,500 या ₹1.87 करोड़ में  बेचा गया. यह पिछले वर्ष की तुलना में ₹61 लाख की वृद्धि अधिक हैं. पिछले साल लड्डू ₹1.26 करोड़ में नीलाम हुआ.

वहीं नीलामी के दौरान जिस व्यक्ति लड्डू ने लड्डू को ख़रीदा आयोजकों द्वारा खरीदार का नाम उजागर नहीं किया गया है. उसका नाम गुप्त रखा गया. यह भी पढ़े: Ganesh Chaturthi 2024: महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी की धूम, पुणे में 2100 छात्राओं ने गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ किया, देखें VIDEO

बंदलागुडा में गणेश लड्डू की नीलामी ने तोड़े रिकार्ड:

हैदराबाद में पिछले साल बंदलागुडा में पांच किलोग्राम के गणेश लड्डू को 1.26 करोड़ रुपये में नीलाम हुआ था. जिस पैसे को का इस्तेमाल चैरिटी कार्यों में किया जता है.

2022 में  24.60 लाख में लड्डू का हुआ नीलामी:

इससे पहले 2022 में इस लड्डू का  नीलामी हुआ. जिस लड्डू को किसान वी. लक्ष्मा रेड्डी ने 24.60 लाख रुपये में खरीदा था.

नीलामी वार्षिक गणेश विसर्जन जुलूस की शुरुआत का प्रतीक:

बालापुर गांव में वार्षिक नीलामी वार्षिक गणेश विसर्जन जुलूस की शुरुआत का प्रतीक है, जो शहर के विभिन्न हिस्सों से होकर हैदराबाद के मध्य में हुसैन सागर झील तक पहुंचती है.

1994 से नीलामी की  शुरू है यह प्रथा:

लड्डू की नीलामी की प्रथा 1994  से शुरू है.  आयोजकों द्वारा पहली नीलामी में लड्डू 450 रुपये में बेचा गया था. इसे कोलानू मोहन रेड्डी ने खरीदा था, जो लगातार पांच वर्षों तक सफल बोलीदाता बने रहे.हर साल नीलामी का आयोजन करने वाली बालापुर गणेश उत्सव समिति के अनुसार, 1994 में आयोजित पहली नीलामी में लड्डू 450 रुपये में बेचा गया था। इसे कोलानू मोहन रेड्डी ने खरीदा था, जो लगातार पांच वर्षों तक सफल बोलीदाता बने रहे.

 लोगों का दावा, लड्डू पाने वाले को  समृद्धि मिलती है

ऐसा माना जाता है कि इससे विजेता को समृद्धि मिलती है, इसलिए हर साल व्यवसायी और राजनेता बोली लगाने के लिए एक-दूसरे से होड़ करते हैं. विजेता न केवल लड्डुओं के टुकड़े अपने परिवार और दोस्तों के बीच बांटते हैं, बल्कि अवशेषों को अपने कृषि क्षेत्रों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और घरों में भी छिड़कते हैं.

(इनपुट आईएएनएस)