पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान का तंज, कहा- मध्यप्रदेश में सरकार है या सर्कस

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को राज्य सरकार और कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला और कहा कि राज्य में सरकार है या सर्कस, समझ नहीं आ रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने संवाददाताओं से बातचीत में कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा पार्टी के वचन पत्र (घोषणा पत्र) पर उठाए गए सवाल पर भी टिप्पणी की

शिवराज सिंह चौहान (Photo-ANI)

भोपाल: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को राज्य सरकार और कांग्रेस पर बड़ा हमला बोला और कहा कि राज्य में सरकार है या सर्कस, समझ नहीं आ रहा है.  पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने संवाददाताओं से बातचीत में कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा पार्टी के वचन पत्र (घोषणा पत्र) पर उठाए गए सवाल पर भी टिप्पणी की. सिंधिया द्वारा वादे पूरे न होने पर सड़क पर उतरने की बात पर मुख्यमंत्री कमलनाथ के जवाब का उल्लेख करते हुए चौहान ने कहा, "यह सरकार है कि सर्कस है, पार्टी है कि तमाशा है. एक कह रहे हैं हम सड़क पर उतर जाएंगे तो दूसरे कह रहे हैं कि उतर जाओ हम देख लेंगे. सवाल यह है कि प्रदेश में कुश्ती हो रही है या प्रदेश चला रहे हैं.

एक-दूसरे को निपटाने के खेल में मध्य प्रदेश निपट रहा है.  एक-एक ईंट रखकर जिस प्रदेश को बनाया था, उसे यह सरकार तबाह करने पर आमादा है. धान खरीद में आ रही समस्या का जिक्र करते हुए चौहान ने कहा, "किसानों का धान नहीं खरीदा जा रहा और जिन किसानों का धान खरीद लिया गया है, उनका भुगतान नहीं किया जा रहा है. गजब तो यह है कि सरकार कह रही है कि उसके पास पैसा नहीं है.  सवाल है कि आइफा के लिए पैसा कहां से आ रहा है, वहीं दूसरी ओर तीर्थ दर्शन योजना को बंद किया जा रहा है. इस सरकार के कार्यकाल में अति हो गई है और जनप्रतिनिधि अपमानित किए जा रहे हैं. वहीं जनता की कोई नहीं सुन रहा." यह भी पढ़े: भोपाल में ज्योतिरादित्य सिंधिया से मिलने उमड़े कार्यकर्ताओं की धक्का-मुक्की में दफ्तर का दरवाजा टूटा

राज्य के विभिन्न हिस्सों में हुए अपराधों का जिक्र करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "मध्य प्रदेश में दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं.  सागर में दलित को जिंदा जला दिया गया, छिंदवाड़ा में एक दलित का दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या हुई और शिवपुरी में भी ऐसा ही कुछ हुआ है। राज्य में जंगल राज है और आदिवासी व आरक्षित वर्ग सुरक्षित नहीं बचा है."

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