उधारकर्ताओं को वित्त मंत्रालय ने त्योहार पर उपहार में बुधवार को दो करोड़ रुपये तक के ऋण के छह महीने के लिए चक्रवृद्धि (compound) ब्याज और साधारण ब्याज (simple interest) के बीच अंतर के भूतपूर्व भुगतान (ex-gratia payment) के लिए एक योजना के लिए दिशानिर्देशों को मंजूरी दी है. सुप्रीम कोर्ट ने COVID-19 महामारी के मद्देनजर RBI की मोरेटोरियम योजना (moratorium scheme) के तहत 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के ब्याज कम करने की योजना को जल्द से जल्द लागू करने के लिए केंद्र को निर्देश दिया.
वित्तीय सेवा विभाग द्वारा जारी परिचालन दिशानिर्देशों के अनुसार, इस योजना का लाभ 1 मार्च से 31 अगस्त, 2020 तक की अवधि के लिए निर्दिष्ट ऋण खातों में उधारकर्ताओं द्वारा लिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जिन उधारकर्ताओं के पास ऋण की सीमाएं हैं, उनकी सीमाएँ स्वीकृत हैं और बकाया राशि 2 करोड़ रुपये से अधिक है (ऋण संस्थानों के साथ सभी सुविधाओं का कुल मिलाकर) 29 फरवरी को योजना के लिए पात्र होंगे, "उन्होंने कहा. आवास ऋण, शिक्षा ऋण, क्रेडिट कार्ड बकाया, ऑटो ऋण, एमएसएमई ऋण, उपभोक्ता टिकाऊ ऋण और उपभोग ऋण योजना के अंतर्गत आते हैं.
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Loans for MSME, education, housing, consumer durables, credit card dues, automobiles, along with personal loans and consumption loans up to Rs 2 crores eligible under the scheme. https://t.co/bFAw21wWE6
— ANI (@ANI) October 24, 2020
इस योजना के अनुसार, उधार देने वाले संस्थान उक्त अवधि के लिए संबंधित खातों में पात्र उधारकर्ताओं के संबंध में कंपाउंड ब्याज और साधारण ब्याज के बीच अंतर का श्रेय करेंगे, भले ही उधारकर्ता ने 27 मार्च, 2020 को RBI की घोषणा के बाद ऋण के पुनर्भुगतान पर पूरी तरह से या आंशिक रूप से रोक लगा दी हो. यह योजना उन लोगों पर लागू होती है जिन्होंने moratorium scheme का लाभ नहीं लिया है और ऋणों की अदायगी जारी रखी है.
राशि जमा करने के बाद ऋण देने वाली संस्थाएं केंद्र सरकार से रिम्बर्समेंट (reimbursement) का दावा करेंगी. सूत्रों के मुताबिक, सरकार को योजना के क्रियान्वयन के लिए 6,500 करोड़ रुपये देने होंगे. 14 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय देखा कि इस बात पर ध्यान देने योग्य है कि ब्याज माफी का लाभ उधारकर्ताओं को कैसे दिया जाएगा और कहा कि केंद्र ने आम आदमी की दुर्दशा पर ध्यान देकर यह स्वागत योग्य निर्णय लिया है. लेकिन अधिकारियों ने इस संबंध में अब तक कोई आदेश जारी नहीं किया है.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "कुछ ठोस किया जाना चाहिए था," 2 करोड़ रुपये तक के कर्जदारों को छूट का लाभ जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए. जस्टिस आर एस रेड्डी और एम आर शाह की पीठ ने भी कहा कि जब अधिकारियों ने कुछ तय किया है तो इसे लागू किया जाना है.