चेन्नई, 7 अगस्त : तमिलनाडु के इरोड जिले के किसान औद्योगिक कचरे को जलाशयों में छोड़े जाने के खिलाफ हैं. किसान और कार्यकर्ता पहले ही तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से शिकायत कर चुके हैं. पेरुं दुरई तालुक के किसानों के अनुसार, तमिलनाडु के राज्य उद्योग संवर्धन निगम (सिपकोट) के पास स्थित सुलिमेडु, ओडैकटुर और पलाथोलुवु गांवों में जल निकायों का रंग अलग-अलग होता है, क्योंकि इनमें कचरा बहाया जाता है.
कार्यकर्ताओं ने कहा कि पलाथोलुवु तालाब अत्तिकदावु अविनाशी पेयजल और सिंचाई योजना के अंतर्गत आता है और यह परियोजना जल्द ही पूरी हो जाएगी. किसानों को चिंता है कि अगर दूषित और प्रदूषित पानी तालाब में पहुंच गया तो कई सालों की मेहनत बेकार चली जाएगी,, क्योंकि दूषित पानी पीने लायक नहीं रहेगा.
इरोड जिले के पलाथोलुवु के एक कार्यकर्ता और किसान मुथुकृष्णन ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "इस क्षेत्र के जल निकायों को औद्योगिक अपशिष्टों के निर्वहन की समस्या का सामना करना पड़ता है और बारिश के मौसम में यह बढ़ जाता है. कई उद्योग प्रदूषित पानी को सामान्य सीवेज में छोड़ रहे हैं. रात में नहरें. हमने टीएनपीसीबी को कई शिकायतें दर्ज की हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है और अगर जल्द से जल्द कोई समाधान नहीं मिला तो हम विरोध मार्च और सड़कों को जाम करने के लिए मजबूर होंगे." यह भी पढ़ें : मालगाड़ी के 8 डिब्बे पटरी से उतरे, रेलवे ट्रैक जाम
हालांकि, टीएनपीसीबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि एसआईपीसीओटी उद्योगों के पास उचित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं और विभाग जांच कर रहा है कि क्या उनसे कोई रिसाव हो रहा है.