Farmers Protest: कड़ाके की ठंड झेल चुके किसान अब गर्मी से निपटने की कर रहे तैयारी

कृषि कानून के खिलाफ किसानों को प्रदर्शन करते हुए शुक्रवार को 80 दिन हो चुके हैं. हल्की ठंड में शुरू हुआ ये आंदोलन अब मौसम के साथ अपना तापमान बदल रहा है. तापमान बढ़ता देख किसान भी उसी हिसाब से तैयारियां करने लगे हैं.

किसान I प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

गाजीपुर बोर्डर, 14 फरवरी : कृषि कानून (Agricultural law) के खिलाफ किसानों को प्रदर्शन करते हुए शुक्रवार को 80 दिन हो चुके हैं. हल्की ठंड में शुरू हुआ ये आंदोलन अब मौसम के साथ अपना तापमान बदल रहा है. तापमान बढ़ता देख किसान भी उसी हिसाब से तैयारियां करने लगे हैं. गाजीपुर बॉर्डर (Ghazipur border) पर लगे टेंट में अब सुबह के बाद से ही उमस बढ़ने लगती है. बॉर्डर पर धीरे धीरे करवट बदल रहे मौसम के देख किसान उसी अनुसार खुद को ढाल रहे हैं. किसानों ने गर्मी के मौसम को देखते हुए टेंट में पंखे लगवाना शुरू कर दिए हैं, तो टेंट की ऊंचाई को भी बढ़ा रहे हैं और उसके अंदर अपने टेंट लगा रहे हैं, ताकि गर्मी की तपिश से सीधे पाला न पड़े. दरअसल किसानों ने इस आंदोलन के दौरान बे मौसम बारिश और कड़ाके की ठंड को भी झेला लेकिन फिर भी अपने प्रदर्शन को जारी रखा, ऐसे में मौसम धीरे धीरे करवट बदल रहा है, हालांकि सुबह- शाम तो मौसम सर्द है, लेकिन दोपहर में काफी गर्मी बढ़ जाती है. एक तरफ सरकार किसानों से बातचीत करने को तैयार है, वहीं किसानों का कहना है कि हम भी बातचीत चाहते हैं. लेकिन बातचीत करने की पहल कौन करे इस पर पेंच फंसा हुआ नजर आ रहा है.

किसान संगठन के नेता राकेश टिकैत 2 अक्टूबर तक इस आंदोलन को जारी रखने की बात कह चुके हैं. हालांकि बॉर्डर पर इसी को देखते हुए सरकार के खिलाफ लड़ाई की तैयारी चल रही है. बढ़ती गर्मी को देख बॉर्डर पर खड़ी ट्रॉलियों में एसी नजर आने लगे हैं, और किसानों के अनुसार इस तरह की ट्रॉलियां और मंगाई जा रही हैं. ताकि गर्मी से निपटा जा सके. किसानों द्वारा लगाए गए टेंट में भी बदलाव किए जा रहे हैं, इन पंडालों को ऊंचा किया जा रहा है ताकि गर्मी की तपिश से बचा जाए वहीं इन्ही पंडालों के अंदर छोटे टैंट लगाए गए हैं. दरअसल अधिकतर टेंट तिरपाल से बने हैं या तो प्लास्टिक की पन्नियों से जिसके कारण सूरज की तपिश से इन टेंट में उमस बढ़ जाती है. जिसकी वजह से इन टेंट में रुकना नामुमकिन सा लगने लगा है. यह भी पढ़ें : West Bengal: पश्चिम बंगाल में डंपर की चपेट में आने से एक ही परिवार के 3 सदस्यों की मौत

यही वजह है कि गर्मी से बचाव और आंदोलन को जारी रखने के लिए बदलाव किए जा रहे हैं. हालांकि गर्मी से निपटने के लिए पंखे भी लगवाए जा रहे हैं. उधर दूसरी ओर किसान संगठनों द्वारा किसान महापंचायतों का दौर भी जारी है. किसान संगठनों के अनुसार देशभर में किसानों से मिल रहे भारी समर्थन से यह तय है कि सरकार को तीन कृषि कानूनों को वापस करना पड़ेगा. शुक्रवार को बिलारी और बहादुरगढ़ में आयोजित महापंचायतों में किसानों एवं लोगों का भारी समर्थन दिखाई दिया, इस दौरान किसान नेताओं ने कहा है कि, "रोटी को तिजोरी की वस्तु नहीं बनने देंगे और भूख का व्यापार नहीं होने देंगे." किसान नेताओं का कहना है कि, "सरकार की किसान विरोधी और कॉरपोरेट पक्षीय मंशा इसी बात से भी स्पष्ट होती है कि बड़े बड़े गोदाम पहले ही बन गए और फिर कानून बनाये गए." किसान संगठनों के अनुसार इस आंदोलन के दौरान अब तक 228 किसान शहीद हो चुके हैं. वहीं दूसरी ओर 14 फरवरी को, पुलवामा हमले के शहीदों को याद करते हुए, पूरे भारत के गांवों और कस्बों में मशाल जूलूस और कैंडल मार्च का आयोजन किया जाएगा. आंदोलन में शहीद किसानों को श्रद्धांजलि भी दी जाएगी. जय जवान, जय किसान के आंदोलन के आदर्श को दोहराया जाएगा.

Share Now

\