लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar) में आज संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की अगुवाई में कृषि कानूनों (Farm Laws) को लेकर किसान महापंचायत का आयोजन किया गया. एसकेएम ने दावा किया कि महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) में 15 राज्यों के हजारों किसानों ने हिस्सा लिया. भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कहा कि जब तक मोदी सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है, तब तक हमारी घर वापसी नहीं होगी. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने किसानों से वार्ता के लिए समिति गठित करने के शिअद के फैसले का उपहास उड़ाया
महापंचायत में शामिल एक महिला किसान ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा "हम यहां तीन कानूनों को वापस कराने के लिए इकट्ठा हुए हैं. प्रधानमंत्री से हमारा अनुराध है कि इस आंदोलन को 9 महीने हो गए हैं इससे और न बढ़ाएं तथा तीन कानूनों को वापस लें." किसान महापंचायत के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गए है. सुरक्षाबलों में प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलेरी (पीएसी) की छह कंपनियां और रैपिड एक्शन फोर्स की दो कंपनियां और 1,200 पुलिसकर्मी शामिल हैं. सूत्रों ने कहा कि अर्धसैनिक बलों की दस कंपनियां और 4,000 पुलिस कर्मियों को भी तैनात किया जा रहा है. जबकि हवाई निगरानी के लिए ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल किया जाएगा और 200 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. इस दौरान 2,500 स्वयंसेवक 'शांति सुनिश्चित करने' के लिए काम करेंगे.
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे एसकेएम ने कहा कि महापंचायत से साबित हो जाएगा कि आंदोलन को सभी जातियों, धर्मों, राज्यों, वर्गों, छोटे व्यापारियों और समाज के सभी वर्गों का समर्थन प्राप्त है. एसकेएम ने एक बयान में कहा, ''महापंचायत योगी-मोदी सरकार को किसानों, खेत मजदूरों और कृषि आंदोलन के समर्थकों की शक्ति का एहसास कराएगी. मुजफ्फरनगर महापंचायत पिछले नौ महीनों में अब तक की सबसे बड़ी महापंचायत होगी.''
We will be discussing strategies to continue the agitation across the country: BKU leader Rakesh Tikait in Meerut, ahead of Kisan Mahapanchayat in Muzaffarnagar pic.twitter.com/Gj8mGCaEj0
— ANI UP (@ANINewsUP) September 5, 2021
बयान में कहा गया है कि किसानों के वास्ते भोजन की व्यवस्था के लिए 500 लंगर सेवाएं शुरू की गई हैं, जिसमें सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर चलने वाली मोबाइल लंगर प्रणाली भी शामिल है. महापंचायत में भाग लेने वाले किसानों के लिए 100 चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं.
पंजाब के कुल 32 किसान संघों ने राज्य सरकार को प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामले वापस लेने के लिए 8 सितंबर की समय सीमा दी है. एसकेएम ने कहा कि अगर मामले वापस नहीं लिए गए तो किसान 8 सितंबर को बड़े विरोध प्रदर्शन की रूपरेखा तैयार करेंगे.
तीन विवादास्पद कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के विरोध प्रदर्शन को नौ महीने से अधिक समय हो गया है. किसानों को डर है कि ये कानून एमएसपी प्रणाली को खत्म कर देंगे और उन्हें बड़े कॉरपोरेट घरानों की दया पर छोड़ दिया जाएगा. सरकार के साथ 10 से अधिक दौर की बातचीत विफल रही है. सरकार कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में पेश कर रही है.