नई दिल्ली, 18 दिसंबर: भाजपा (BJP) के वरिष्ठ नेता अर्जुन सिंह (Arjun Singh) और कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. दरअसल कोर्ट ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) सरकार की ओर से दायर मामलों के सिलसिले में दोनों को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया है. वहीं शीर्ष अदालत ने ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार से भाजपा नेताओं की याचिका पर जवाब मांगा है. याचिका में भाजपा नेताओं पर पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया है.
बीजेपी के याचिकाकर्ता नेताओं अर्जुन सिंह, कैलाश विजयवर्गीय, मुकुल रॉय (Mukul Roy), सौरभ सिंह (Saurabh Singh), पवन कुमार सिंह (Pavan Kumar Singh) और कबीर शंकर बोस (Kabir Shankar Bose) ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) सरकार ने उनपर फर्जी मामले लगाए हैं, और राज्य में एक आतंकी राज कायम किया है. नेताओं ने जोर देकर कहा कि अगले साल होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव को देखते हुए उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं. यह भी पढ़े: AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी का ममता बनर्जी पर कड़ा प्रहार, कहा- मुस्लिम वोटर आपकी जागीर नहीं.
न्यायमूर्ति एस. के. कौल (S.K. Kaul) की अध्यक्षता वाली पीठ ने अगले साल की शुरूआत में राज्य में होने वाले विधान सभा चुनावों की पृष्ठभूमि में इन मामलों को राजनीतिक प्रतिशोध करार देने के भाजपा नेताओं के आरोपों पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. बीजेपी सांसद अर्जुन सिंह का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) ने पीठ के सामने कहा कि 2019 में तृणमूल कांग्रेस छोड़ने के बाद उनके मुवक्किल पर 64 मामले दर्ज किए गए हैं.
रोहतगी ने जोर देकर कहा कि इन मामलों को उनके मुवक्किल पर इसलिए लगाया गया कि वे अगले साल फरवरी या मार्च में होने वाले चुनावों में राजनीतिक गतिविधि में हिस्सा नहीं ले सके. विजयवर्गीय के वकील ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि उनके मुवक्किल पश्चिम बंगाल में नहीं रहते हैं और उन्हें पश्चिम बंगाल में आने से रोकने के लिए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
शीर्ष अदालत ने कहा, "नोटिस जारी.. सुनवाई की अगली तारीख तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं." शीर्ष अदालत ने मामले को जनवरी के दूसरे सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.