नयी दिल्ली, 14 मार्च : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा है कि फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर और यूट्यूब बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं हैं. इस बीच, नयी वेब सीरीज ‘बॉम्बे बेगम्स’ (Bombay Begums) की स्ट्रीमिंग रोकने से जुड़े उनके निर्देश को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. इसी विषय पर आधारित है प्रियंक कानूनगो से ‘’ के पांच सवाल और उनके जवाब :
सवाल : एनसीपीसीआर द्वारा वेब सीरीज (Web Series) ‘बॉम्बे बेगम्स’ को लेकर नेटफ्लिक्स को जारी नोटिस को कुछ फिल्मकारों ने रचनात्मक स्वतंत्रता पर हमला बताया है, इस पर आपका क्या कहना है?
जवाब : बच्चों के जीवन के अधिकार से ऊपर कोई अधिकार नहीं है. भारत का संविधान बच्चों को जीने का अधिकार, संरक्षण का अधिकार और विकास का अधिकार देता है. आयोग बच्चों के संरक्षण का काम कर रहा है. जो लोग 'बॉम्बे बेगम्स' के मुद्दे पर हमारे कदम को रचनात्मक आजादी पर हमला और राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं, वो मानसिक रूप में विकृत हैं. असल में वे समाज में भी रहने के लायक नहीं हैं.
सवाल: क्या बाल अधिकार संरक्षण के नजरिये से ओटीटी प्लेटफॉर्म पर किसी तरह के नियंत्रण या कानूनी प्रावधान लागू करने की जरूरत है?
जवाब: हमारे पास कानूनी प्रावधान हैं जिनसे हम लोगों को मर्यादा में रख सकते हैं और बाल अधिकारों का संरक्षण करा सकते हैं. सच्चाई यह है कि पिछले कई दशकों में मनोरंजन के नाम पर दुष्प्रचार को समाज में घुसाने का काम किया गया है. अब इस पर काम करने की आवश्यकता है. इस पर नियंत्रण ही नहीं, बल्कि सकारात्मक वातावरण बनाने की दिशा में भी काम करना होगा. यह भी पढ़ें : Ministry of Civil Aviation: सरकार ने ‘उड़ान’ के तहत 392 हवाई मार्गों के लिए बोलियां मांगीं
सवाल: हाल ही में इंटरनेट मीडिया और ओटीटी को लेकर सरकार ने जो दिशानिर्देश तय करने का फैसला किया, उस पर एनसीपीसीआर की क्या राय है?
जवाब : इस दिशानिर्देश में शिकायत निवारण समिति की बात की गई है, उसमें महिला और बाल विकास मंत्रालय के प्रतिनिधियों को स्थान देने की बात की गई है. ये एक तरह से अस्त्र का काम करेगा और बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए बेहतर होगा.
सवाल: आपने प्रमुख सोशल मीडिया (social media) मंचों को भी कई बार नोटिस दिया है. क्या ये मंच भारत में बाल अधिकार संरक्षण की व्यवस्था का पालन नहीं कर रहे हैं?
जवाब: हमने फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, व्हाट्सएप और यूट्यूब् का अध्ययन किया है. इनमें से बच्चों के लिए कोई भी सुरक्षित नहीं है. हमने सबको नोटिस जारी किया है. इनको सुधारना होगा. इनको भारत के परिवेश में ढलना होगा. अगर इनको भारत में व्यवसाय करना है तो बच्चों के अधिकार के संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी, अन्यथा इनको इस तरह से चलने की अनुमति नहीं दी जा सकती. इनका हम लगातार इलाज कर रहे हैं. आगे भी इनको सुधारने की प्रक्रिया चलाएंगे. नया दिशानिर्देश एक अस्त्र का काम करेगा. अब हम और सख्ती के साथ काम करने में सक्षम हो जाएंगे.
सवाल: इस डिजिटल दौर में बाल अधिकार संरक्षण के संदर्भ में समाज, विशेषकर परिवार की भूमिका को आप किस तरह से दखते हैं?
जवाब: देखिए, व्यवस्था का नियंत्रण अगर परिवार की जगह बाजार के हाथ में होगा, तो इस तरह की विकृतियां जन्म लेंगी. हमें उस दिशा में बढ़ना होगा कि व्यवस्था का नियंत्रण बाजार की जगह परिवार के हाथ में हो. इसके लिए अनुकूल माहौल बनाना होगा.