Facebook ने बिजनेस प्रॉस्पेक्ट्स और स्टाफ सिक्योरिटी की वजह से बजरंग दल के वीडियो पर नहीं की कार्रवाई- डब्ल्यूएसजे रिपोर्ट
फेसबुक/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक (Facebook) पर अपने बिजनेस प्रॉस्पेक्ट्स और भड़काऊ स्पीच को बढ़ावा देने और प्रमोट करने के आरोप लगे हैं. अमेरिका के मशहूर अखबार डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट के अनुसार बिजनेस प्रॉस्पेक्ट्स और स्टाफ सिक्योरिटी को ध्यान में रखते फेसबुक ने हेट स्पीच (Hate Speech) के नियमों के तहत कट्टरवादी संगठन बजरंग दल (Bajrang Dal) पर कार्रवाई नहीं की थी. वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक को डर था कि इससे भारत में उसका ऑपरेशन प्रभावित हो सकता है.

वॉल स्ट्रीट जर्नल में रविवार को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक ने भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा का समर्थन करने वाले बजरंग दल (Bajrang Dal) को महज अपनी राजनीतिक और सुरक्षा कारणों से सोशल नेटवर्क पर बने रहने की परमिशन दी, जबकि फेसबुक की सेफ्टी टीम ने बजरंग दल को संभावित खतरनाक संगठन के रूप में टैग किया था. यह भी पढ़ें: UP: वेब सीरीज पर भड़का बजरंग दल, बताया भारतीय संस्कृति के खिलाफ

डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट के अनुसार बजरंग दल के सत्ता में मौजूद बीजेपी सरकार के साथ अच्छे संबंधों के कारण फेसबुक ने बजरंग दल के खिलाफ कोई एक्शन नही लिया. फेसबुक को डर था कि एक्शन लेने से भारत में उनके बिजनेस पर बुरा असर पड़ सकता है.

दावे के जवाब के रूप में फेसबुक के प्रवक्ता एंडी स्टोन ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को बताया कि कंपनी हर देश में सभी समूहों के लिए एक जैसे ही खतरनाक संगठनों के खिलाफ अपनी नीति पर अमल करती है. "हम राजनीतिक स्थिति या पार्टी संबद्धता के संबंध में विश्व स्तर पर हमारे खतरनाक व्यक्तियों और संगठनों की नीति को लागू करते हैं," स्टोन ने कहा. डब्लूएसजे की एक रिपोर्ट के भारत में आने के महीनों बाद, यह दावा किया गया कि सोशल मीडिया दिग्गज ने अपने व्यापारिक हितों के लिए बीजेपी का समर्थन किया. यह भी पढ़ें: बजरंग दल का हैदराबाद में फरमान, गरबा और डांडिया स्थलों पर हो आधार कार्ड की जांच, ताकि ‘गैर-हिंदू' लोगों की पहचान हो सके

अगस्त में प्रकाशित, रिपोर्ट के अनुसार फेसबुक अपनी नीतियों को लेकर बीजेपी सरकार के लिए बायस्ड है. क्योंकि बीजेपी भारत में सत्ताधारी पार्टी है, जिनके खिलाफ एक्शन लेने से उन्हें नुक्सान हो सकता है. वहीं पूर्व फेसबुक कार्यकारी अंकुशी दास पर मुस्लिम विरोधी टिप्पणी करने वाले सत्ताधारी दल के एक नेता के पक्ष में पैरवी करने का भी आरोप है. हालांकि, फेसबुक ने ऐसे सभी दावों से इनकार किया है.