Excise Policy Case:  उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में संजय सिंह ने जमानत के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया
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नई दिल्ली, 4 जनवरी : आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कथित उत्पाद शुल्क नीति घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत की मांग करते हुए गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया. सिंह ने यह कदम तब उठाया, जब राउज़ एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश एम.के. नागपाल ने 22 दिसंबर को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी.

21 दिसंबर को ट्रायल कोर्ट ने मामले में आप नेता की न्यायिक हिरासत भी बढ़ा दी थी और ईडी से उसे अपने पांचवें पूरक आरोपपत्र और संबंधित दस्तावेजों की एक प्रति प्रदान करने को कहा था. न्यायाधीश नागपाल ने जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि सबूतों से पता चलता है कि आरोपी मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल था और सीबीआई द्वारा जांच की गई अनुसूचित अपराधों से अपराध की आय के संबंध के आधार पर अपराध पर विश्‍वास करने के लिए उचित आधार थे.

अदालत ने यह भी कहा कि विभिन्न आरोपियों के लिए जमानत याचिकाएं खारिज करने के दौरान पीएमएलए की धारा 45 और 50 की व्याख्या पर की गई टिप्पणियां अपरिवर्तित रहेंगी और मामले में एक अन्य आरोपी को जमानत देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर निर्भरता नहीं रहेगी. इसने कार्यवाही के दौरान वसूली गई रकम का सबूत न होने के तर्क को भी यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह हमेशा जरूरी नहीं है.

अभियुक्तों को अपराध की कथित आय से जोड़ने वाले दस्तावेजी साक्ष्य की कमी को संबोधित करते हुए अदालत ने नकद लेनदेन की प्रकृति का हवाला देते हुए इस धारणा को खारिज कर दिया। अनुमोदनकर्ता के दबाव के दावे को खारिज करते हुए न्यायाधीश ने प्रभाव का कोई सबूत नहीं पाया और ईडी द्वारा एकत्र किए गए सबूतों की प्रासंगिकता की पुष्टि की, जबकि उत्पाद शुल्क नीति को प्रभावित करने में आरोपी की कथित भूमिका पर ध्यान दिया और अपराध की आय उत्पन्न करने के लिए एक डमी सहयोगी को शामिल करते हुए एक साझेदारी बनाने का प्रयास किया.

इस पहलू के संबंध में अनुमोदक दिनेश अरोड़ा, आरोपी अमित अरोड़ा और गवाह अंकित गुप्ता के बयानों का हवाला दिया गया, जिससे आवेदक के निजी सहायक को इकाई में शामिल करने के प्रयासों का खुलासा हुआ. सिंह का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील मोहित माथुर ने पहले तर्क दिया था कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तारी से पहले सिंह से पूछताछ नहीं की थी और आरोपी से सरकारी गवाह बने दिनेश अरोड़ा और अन्य गवाहों के बयानों में विरोधाभास का भी हवाला दिया था.

ईडी ने चल रही जांच का हवाला देते हुए जमानत याचिका का विरोध किया था और चिंता व्यक्त की थी कि सिंह की रिहाई संभावित रूप से जांच में बाधा डाल सकती है, सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकती है और गवाहों को प्रभावित कर सकती है. सिंह के वकील ने यह भी कहा था कि चूंकि सिंह के खिलाफ पूरक आरोपपत्र पहले ही दायर किया जा चुका है, इसलिए सबूतों के संग्रह के संबंध में कुछ हद तक अंतिमता होनी है, जो उन्हें जमानत देने का आधार होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि सिंह न तो आरोपी थे, और न ही उन्हें कभी गिरफ्तार किया गया था, न ही उन पर कभी भी आरोप पत्र दायर किया गया था, जिसकी जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है, और यहां तक कि उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई द्वारा तलब भी नहीं किया गया था। उनकी गिरफ्तारी से पहले ईडी द्वारा दायर किसी भी पूरक आरोपपत्र में उनका नाम नहीं आया. वित्तीय जांच एजेंसी ने नॉर्थ एवेन्यू इलाके में उनके आवास पर तलाशी की औपचारिकता पूरी करने के बाद 4 अक्टूबर को सिंह को गिरफ्तार कि था.