इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई चीफ इमरान खान को सिफर मामले में कोर्ट ने 10 साल की जेल की सजा सुनाई है. इमरान के साथ पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को भी 10 साल की सजा हुई है. इस मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत के जज अब्दुल हसनत जुल्करनैन ने आज यह फैसला सुनाया है. इमरान खान रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं और वहीं पर इस मामले में फैसला सुनाया गया. विशेष अदालत के इस फैसले को इमरान खान के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है जो अभी भी चुनाव लड़ने का ख्वाब देख रहे थे. माना जा रहा है कि 10 साल जेल की सजा के बाद अब इन दोनों के ही चुनाव लड़ने का रास्ता बंद हो गया है. इंडियन नेवी का अदन की खाड़ी में बड़ा ऑपरेशन, INS Sumitra ने समुद्री लुटेरों से 19 पाकिस्तानियों को बचाया.
क्या है सिफर केस?
सिफर मामला पिछले साल मार्च में पाकिस्तान दूतावास द्वारा भेजे गए एक राजनयिक दस्तावेज के कथित दुरुपयोग से संबंधित है. इमरान और शाह महमूद कुरैशी के खिलाफ सिफर का ये मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है. इमरान खान पर बेहद गुप्त जानकारी के निजी इस्तेमाल करने का आरोप है. सत्ता से बेदखल होने के बाद इमरान ने आरोप लगाया था कि उन्हें बेदखल करने के पीछे अमेरिका का हाथ है. इसके लिए इमरान ने कहा कि वाशिंगटन स्थित पाक एंबेंसी ने उन्हें एक केबल (टेप या गुप्त जानकारी) भेजा था. इमरान खान ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए एक विवादित राजनयिक बातचीत को सार्वजनिक कर दिया था. इसे ‘सिफर’ कहा गया.
संघीय जांच एजेंसी ने 15 अगस्त को मामला दर्ज किया था कि आरोपियों ने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए दस्तावेजों का फायदा उठाने की कोशिश करते हुए देश के कानूनों का उल्लंघन किया. सिफर मामले में खान और कुरैशी दोनों को उच्चतम न्यायालय ने जमानत दे दी थी. एफआईए ने 30 सितंबर को खान और कुरैशी के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था, जिन्होंने इसकी प्रतियों पर हस्ताक्षर किए थे.