नई दिल्ली. दुनिया भर में ईद-उल-जुहा' धूमधाम से मनाया जा रहा है. भारत में इस त्योहार को बकरीद के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है. रमजान खत्म होने के लगभग 70 दिनों बाद बकरा ईद, बकरीद, ईद-उल-अजहा या या कहें ईद-उल जुहा को मनाया जाता है. बकरा ईद में एक बकरे की कुर्बानी देकर मनाया जाने वाला यह त्यौहार है. मुस्लिम समुदाय में बकरा ईद को बहुत ही पवित्र त्योहार माना जाता है.
दिल्ली की जामा मस्जिद में सुबह ईद की नमाज अदा की गई. वहीं ईद-उल-जुहा' के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने देशवासियों को बधाई दी. ईद-उल-अजहा या बकरा ईद कहतें हैं इस दिन मुसलमान अल्लाह की राह में कुर्बानी देते हैं.
Best wishes on Id-ul-Zuha. May this day deepen the spirit of compassion and brotherhood in our society.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 22, 2018
इसलिए देते हैं कुर्बानी
इस्लाम धर्म में ईद उल अज़हा को सुन्नते इब्राहीम भी कहते है. इस्लाम की मानयताओं के अनुसार अल्लाह पाक ने हजरत इब्राहिम अलैस्लाम की परीक्षा लेने के मकसद से उन्हें अपनी सबसे पसंद चीज की कु्र्बानी देने को लेकर हुक्म दिया. इस हुक्म के बाद हजरत इब्राहिम अलैस्लाम लगा की उनके पास सबसे कोई प्रिय और करीब कुछ है तो वह उनका बेटा है. इसलिए उन्होने फैसला किया कि वे अपने बेटे इस्माईल को अल्लाह के राह में कुर्बान करेंगे
ईद-उल-जुहा के अवसर पर सभी देशवासियों विशेषकर हमारे मुस्लिम भाइयों और बहनों को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।
इस विशेष दिन हम त्याग और बलिदान की भावना के प्रति अपना आदर व्यक्त करते हैं। आइए, अपने समावेशी समाज में एकता और भाइचारे के लिए मिलकर काम करें — राष्ट्रपति कोविन्द
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 22, 2018
फैसले के मुताबिक इन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार होने के बाद कुर्बानी देते समय उन्हें कुर्बानी देते समय रहम ना आ जाए और वे कुर्बानी ना दे सके. इसलिए इन्होंने अपनी आंख में पट्टी बांधने के बाद बेटे की कुर्बानी देने लगे. कुर्बानी देने के बाद जब उन्होंने आंख से पट्टी खोली तो देखा की बेटा सामने खड़ा हुआ है, और भेड़ कटा हुआ है. तभी से इस्लाम धर्म में कुर्बानी देने की प्रथा चली आ रही है.