नई दिल्ली: आज आपातकाल लगाये जाने की 43 वी बरसी है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे संवैधानिक आदर्शों पर सीधे प्रहार की संज्ञा दी है. वहीं केंद्रीय मानव संसाधन विकास विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि आपातकाल को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा.
बता दें की 26 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की थी. इसदौरान नागरिकों के मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया था. वर्ष 1977 के आम चुनाव के साथ ही आपातकाल हटा लिया गया था.
बीजेपी की आपातकाल बंदी स्मरण समिति द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए जावड़ेकर ने कहा कि आपातकाल के असर को ध्यान में रखते हुए इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा ताकि आने वाली पीढ़ी इसे जान सके. आपातकाल के दौरान देश में लोगों के मौलिक अधिकारों और न्यायपालिका एवं मीडिया के अधिकारों का जैसा हनन हुआ, वह दुनिया में केवल तानाशाही शासनों में ही देखा गया है.
देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कांग्रेस ने अपनी राजनीतिक हताशा को छिपाने और अपनी शासकीय विफलताओं से विश्व का ध्यान भटकाने के लिए 1975 में देश में आपातकाल लगाया था. सरकार विरोधी आंदोलनों एवं न्यायपालिका के स्वतंत्र निर्णयों से हताश तत्कालीन काग्रेस सरकार ने आपातकाल का उपयोग अपने शासन को बचाए रखने के लिए किया.
भारतीय जनता पार्टी आज काला दिवस के तौर पर मना रही है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री संवाददाता सम्मेलन करेंगे, गोष्ठियों को संबोधित करेंगे और आपातकाल के बारे में बैठकें करेंगे. देशभर में लगभग 22 स्थानों पर संवाददाता सम्मेलन और गोष्ठियां आयोजित की जाएंगी.