नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगले साल 26 जनवरी को भारत नहीं आने वाले है. ट्रंप ने गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि हिस्सा लेनेवाला न्योता ठुकरा दिया है. ऐसी खबरें आ रही थी कि ट्रंप भारत आने पर विचार कर रहे हैं. अगर ट्रंप भारत की यात्रा पर आते हैं, तो यह दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करेगा और सहयोग बढ़ाएगा.
डोनाल्ड ट्रंप के गणतंत्र दिवस समारोह में नहीं आने को लेकर भारत सरकार की ओर से फिलहाल कोई पुष्टी नहीं की गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी अधिकारियों ने हाल ही में इस संबंध में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को एक पत्र सौंपा है. खबरों की मानें तो इसमें ट्रंप ने भारत नहीं आ सकने पर खेद जताया है.
भारत ने अप्रैल में ट्रंप को गणतंत्र दिवस 2019 के समारोह के लिए न्योता भेजा था. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप को गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया था. मोदी और ट्रंप के बीच 2017 में वाशिंगटन में पहली मुलाकात हुई थी. इसके बाद इनकी बहुपक्षीय बैठकों के मौकों पर मुलाकातें हुईं हैं.
दरअसल कुछ मुद्दों पर मतभेद के चलते भारत और अमेरिका के रिश्तों में थोडा तनाव आया है. इसका प्रमुख कारण रूस के साथ भारत का रक्षा समझौता और अमरीकी प्रतिबंधों के बावजूद ईरान से तेल का आयात हो सकता है.
यह भी पढ़े- भारत-रूस के डील से सुलगा पाकिस्तान, नकल करने के लिए चीन से लेगा हाई तकनीक वाले मिलिटरी ड्रोन
भारत ने रूस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए हाल ही में एस-400 सुपरसोनिक एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम प्रणाली की खरीद के लिए रूस के साथ समझौता किया. एस-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली एक बार में 36 निशाने भेद सकती है और एक साथ 72 मिसाइल छोड़ सकती है. दरअसल अमेरिका इस डील के खिलाफ है क्योंकि वह चाहता है कि भारत एस-400 की जगह उसका बनाया थाड (थाड-टर्मिनल हाई ऑल्टिट्यूड एरिया डिफेंस) सिस्टम खरीदे.
वहीं अमेरिकी रक्षा मंत्री माइक पोंपियो ने कहा था कि अमेरिका अपेक्षा करता है कि भारत प्रतिबंधों से बचने के लिए 4 नवंबर तक ईरान से तेल खरीदना बंद कर दें. जिसे मानने से भारत ने साफ़ मना कर दिया था. भारत ने कहा था कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों के आधार पर कार्य करेगा.