महाराष्ट्र में रातोंरात हुए महाउलटफेर के बाद देवेंद्र फडणवीस सरकार बनी थी. लेकिन बहुमत को लेकर दांवपेच में आखिरकार बीजेपी को बैकफुट पर आना पड़ा. एनसीपी के विधायकों को लेकर देवेंद्र फडणवीस की सरकार बनाने वाले अजित पवार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उनके बाद सूबे के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी इस्तीफा दे दिया. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने आदेश में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बुधवार शाम पांच बजे से पहले विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने के लिए कहा था. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इसके लिए गुप्त मतदान नहीं होगा और सदन की कार्यवाही का लाइव प्रसारण किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सूबे में त्यागपत्र का सिलसिला जारी हो गया.
महाराष्ट्र की राजनीति में उस समय भूचाल मच गया जब शनिवार यानि 23 नवंबर की सुबह ही बीजेपी के विधायक दल के नेता देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली. उनके साथ ही एनसीपी नेता अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद के लिए शपथ ग्रहण की. अचानक हुए इस उलटफेर के बाद विपक्षी पार्टियां आक्रामक हो गईं. आलम ऐसा हुआ कि कैमरे के आगे खुद एनसीपी सुप्रीमों शरद पवार को आना पड़ा और उन्होंने कहा अजित पवार के इस फैसले का एनसीपी से कोई लेना देना नहीं है. उन्होंने स्पष्ट किया था कि हम शिवसेना के साथ हैं और सरकार बनायेंगे.
अब इस पूरी घटनाक्रम में निरंतर हो रहे बदलाव के बाद सवाल उठने लगा है कि क्या देवेंद्र फडणवीस ने जल्दबाजी कर दी थी. क्योंकि अजित पवार ने अपने साथ जिन विधायकों को लेकर बीजेपी की सरकार बनाया था. वे विधायक शाम तक शरद पवार के साथ खड़े नजर आए. विधायक बीजेपी के संपर्क में न आएं इसलिए शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी ने उन्हें होटल में रखा था. जिसके बाद इन्होने अपना शक्ति प्रदर्शन करते हुए 162 विधायकों को शपथ दिलाया. जिसके बाद यह स्पष्ट हो गया था कि बीजेपी के सरकार की यह राह अब आसान नहीं है.
NCP ने अजित पवार को मानाने जुटी रही
शरद पवार को वैसे यह यकीन नहीं था कि उनका भतीजा उनके ही पार्टी के विधायकों को लेकर बीजेपी के साथ हो जाएगा. वैसे राजनीति जैसा नजर आता है वैसे होता नहीं है. यही कारण है कि अजित पवार के डिप्टी सीएम बनने के बाद भी एनसीपी लगातार उनके संपर्क में थी. इसी कड़ी में जयंत पाटिल और छगन भुजबल ने जाकर मुलाकात भी किया था. वैसे शरद पवार हमेशा से अजित पवार को अपने करीब रखा करते हैं. फिर चुनाव से जुड़े बड़े फैसले हो या टिकट के बंटवारे का निर्णय अजित पवार हमेशा शरद पवार के साथ उस निर्णय में शामिल होते थे.
बीजेपी अपना सकती है विधायकों से इस्तीफे दिलाने की भी रणनीति
गौरतलब हो कर्नाटक में जिस तरह से ऑपरेशन कमल चलाकर बीजेपी ने विरोधी दलों के विधायकों से इस्तीफे दिलाकर बहुमत के आंकड़े को कम कर पूर्व में सरकार बनाई, उस रणनीति पर भी महाराष्ट्र में बीजेपी काम कर सकती है. दलबदल कानून से बचने के लिए किसी पार्टी के दो-तिहाई विधायकों का टूटना जरूरी है. ऐसे में तीनों दलों के कई विधायकों से इस्तीफे दिलाकर बीजेपी बहुमत के आंकड़े को इतना करीब लाना चाहेगी, जहां तक वह पहुंच सके. हालांकि बीजेपी के लिए यह बहुत आसान नहीं है.