Nashik Bribe: महावितरण के उप अभियंता, सीनियर क्लर्क और गट विकास अधिकारी रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार,नाशिक के एसीबी की कार्रवाई

नाशिक में एक ही दिन में तीन लोगों पर रिश्वत की कार्रवाई की गई है. जिसमें महावितरण का उप अभियंता,सीनियर क्लर्क और गट विकास अधिकारी शामिल है. कार्रवाई एसीबी की ओर से की गई है.

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Nashik Bribe : एंटी करप्शन ब्यूरो ने नाशिक में एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है. एक ही दिन में तीन रिश्वतखोरों पर कार्रवाई की गई है. इस कार्रवाई में महावितरण का अभियंता, सीनियर क्लर्क और गट -विकास अधिकारी शामिल है. इस कार्रवाई से सरकारी महकमे में हडकंप मच गया है.

एंटी करप्शन ब्यूरो ने येवला पंचायत गट-विकास शहर समिति के अधिकारी मच्छिंद्रनाथ धस को 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा गया. शिकायकर्ता का ग्रामपंचायत की बस्ती का ठेकेदार के मार्फ़त किए गए विकासकामों का बिल था, जिसको पास करने के लिए और चेक पर साईन करने के लिए बिल के दो प्रतिशत यानी 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए अधिकारी को पकड़ा गया है. ये भी पढ़े :Pune Shocker: पुणे में चेकिंग के दौरान ट्रैफिक पुलिस कर्मचारी पर पेट्रोल डालकर जलाने की कोशिश, आरोपी गिरफ्तार

अधिकारी के खिलाफ येवला पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है. ये कार्रवाई एंटी करप्शन विभाग की पुलिस अधीक्षक शर्मिला घारगे वालावलकर,अप्पर पोलीस अधिक्षक माधव रेड्डी के द्वारा की गई है.

इसके साथ ही येवला में एक सीनियर क्लर्क जनार्दन भानुदास रहाटळ को भूमि अधिग्रहण के लिए नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट देने के लिए सात सौ रुपये की रिश्वत लेते हुए एसीबी की टीम ने रंगे हाथ पकड़ा है. शिकायतकर्ता ने येवला के उपविभागीय अधिकारी कार्योलय में भूमि अधिग्रहण नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया था.

ये सर्टिफिकेट देने के लिए कर्मचारी जनार्दन ने फिर्यादी से 1100 रुपये की मांग की थी. 100 रुपये लेने के बाद बचे हुए 1 हजार रुपये की मांग की, लेकिन शिकायतकर्ता ने इसकी शिकायत एसीबी से कर दी. इसके बाद कर्मचारी के साथ 700 रुपये में शिकायतकर्ता ने बातचीत की. इसके बाद एसीबी ने इस कर्मचारी को भी गिरफ्तार किया.

इसके साथ ही तीसरे मामले में महावितरण विभाग के उप कार्यकारी अभियंता को भी 1 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया है. आरोपी अधिकारी का नाम किसन कोपनर है.पिंपळगाव बसवंत यहां वे कार्यरत थे. दूकान का व्यासायिक मीटर किसी भी तरह की क़ानूनी प्रक्रिया न करते हुए इंडस्ट्री मीटर लगाने के लिए 1 लाख रुपये की मांग की गई थी. इस कार्रवाई में भी मामला दर्ज किया गया है.

 

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