Delhi Violence: 3 आरोपियों को मिली जमानत, दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- विरोध आतंकी गतिविधि नहीं
अदालत ने कहा कि तीनों को जमानत 50,000 रुपये के निजी मुचलके और दो स्थानीय जमानतदारों के अधीन है. इसके अलावा जमानत के तौर पर शामिल शर्तों में तीनों को अपने पासपोर्ट जमा कराने होंगे और ऐसी किसी गतिविधियों में शामिल नहीं होना होगा, जिससे मामले में बाधा आ सकती है.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने मंगलवार को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (Unlawful Activities Act) के तहत दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) मामले में नताशा नरवाल (Natasha Narwal), देवांगना कलिता (Devangana Kalita) और आसिफ इकबाल तन्हा (Asif Iqbal Tanha) को जमानत दे दी. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल (Siddharth Mridul) और न्यायमूर्ति अनूप जे भंभानी (Anoop J Bhambhani) की पीठ ने कहा कि यूएपीए की धारा 15, 17 या 18 के तहत कोई भी अपराध तीनों के खिलाफ वर्तमान मामले में रिकॉर्ड की गई सामग्री के आधार पर नहीं बनता है. अदालत ने कई तथ्यों को ध्यान में रखते हुए माना कि विरोध जताना कोई आतंकी गतिविधि (Terrorist Activity) नहीं है. Delhi: सफदरजंग एयरपोर्ट पर IT बिल्डिंग में लगी आग, मौके पर दमकल की 6 गाड़ियां मौजूद
अदालत ने कहा कि तीनों को जमानत 50,000 रुपये के निजी मुचलके और दो स्थानीय जमानतदारों के अधीन है. इसके अलावा जमानत के तौर पर शामिल शर्तों में तीनों को अपने पासपोर्ट जमा कराने होंगे और ऐसी किसी गतिविधियों में शामिल नहीं होना होगा, जिससे मामले में बाधा आ सकती है.
तन्हा जामिया मिल्लिया इस्लामिया से स्नातक की छात्रा है। उसे मई 2020 में यूएपीए के तहत दिल्ली हिंसा के मामले में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह लगातार हिरासत में है. नरवाल और कलिता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पीएचडी स्कॉलर हैं, जो पिंजरा तोड़ आंदोलन से जुड़ीं हुईं हैं. वे मई 2020 से हिरासत में हैं.
यह मामला दिल्ली पुलिस की ओर से उस कथित साजिश की जांच से संबंधित है, जिसके कारण फरवरी 2020 में दिल्ली में भयानक हिंसा भड़क उठी थी. पुलिस के अनुसार, तीनों आरोपियों ने अभूतपूर्व पैमाने पर अन्य आरोपियों के साथ मिलकर ऐसा व्यवधान पैदा करने की साजिश रची, जिससे कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगाड़ी जा सके.