नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर आएंगे या नहीं इसका फैसला मंगलवार हो होगा. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की जमानत के खिलाफ ईडी की याचिका पर मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट फैसला सुनाएगी. दिल्ली उच्च न्यायालय प्रवर्तन निदेशालय की उस याचिका पर अपना फैसला मंगलवार को सुनाएगा जिसमें कथित आबकारी घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत देने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है. दिल्ली हाई कोर्ट इस मामले में अपना फैसला मंगलवार को दोपहर बाद 2:30 बजे सुनाएगा.
जस्टिस सुधीर कुमार जैन की अवकाशकालीन पीठ ने निचली अदालत के फैसले को ईडी द्वारा चुनौती दिये जाने के बाद 21 जून को आदेश सुरक्षित रख लिया था. हाई कोर्ट ने फैसला सुनाये जाने तक निचली अदालत के फैसले के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट से भी लगा केजरीवाल को झटका
सीएम केजरीवाल को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी शराब नीति मामले में झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की जमानत पर अंतरिम रोक हटाने से मना कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई बुधवार 26 जून के लिए टाल दी है. उन्हें फिलहाल जेल में ही रहना होगा और दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले का इंतजार करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की याचिका पर कहा कि हमें दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए.
आप के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को 21 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था. वह तिहाड़ जेल से बाहर आ सकते थे, यदि उच्च न्यायालय ने ईडी को अंतरिम राहत नहीं दी होती.
निचली अदालत ने 20 जून को केजरीवाल को जमानत दे दी थी और एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया था. निचली अदालत ने साथ ही कुछ शर्तें भी लगाई थीं, जिसमें यह भी शामिल था कि वह जांच में बाधा डालने या गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे.
ईडी ने दलील दी है कि निचली अदालत का आदेश "विकृत", "एकतरफा" और "गलत" था तथा निष्कर्ष अप्रासंगिक तथ्यों पर आधारित थे. दिल्ली आबकारी नीति तैयार करने और इसके क्रियान्वयन से जुड़ी कथित अनियमितताओं एवं भ्रष्टाचार की उपराज्यपाल ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का आदेश दिया था, जिसके बाद 2022 में आबकारी नीति को रद्द कर दिया गया था.
सीबीआई और ईडी के अनुसार, आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया.