कोर्ट ने कहा- मुर्गे-मुर्गियों के साथ पोल्ट्री फार्म ना करें क्रूरता, 6 हफ्तों के अंदर कानून बनाने का आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को मुर्गे-मुर्गियों को फर्मों में रखे जाने और उनके ट्रांसपोर्टेशन में क्रूरतापूर्ण तरीके अपनाए जाने पर रोक लगाने संबंधी जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि है कि केन्द्र सरकार छह सप्ताह के अंदर नियमों का निर्धारण करें.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को मुर्गे-मुर्गियों को फर्मों में रखे जाने और उनके ट्रांसपोर्टेशन में क्रूरतापूर्ण तरीके अपनाए जाने पर रोक लगाने संबंधी जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि है कि केन्द्र सरकार छह सप्ताह के अंदर नियमों का निर्धारण करें. इसके साथ ही कोर्ट ने क़ानूनी मसौदे को अंतिम रूप देने का भी आदेश दिया है.
कोर्ट ने कहा कि “जानवर बात नहीं कर सकते, इसका मतलब यह नहीं है कि हम उन्हें किसी भी तरह से रखें.” कोर्ट ने अगली सुनवाई 31 अक्टूबर तक के लिए टाल दी है. बता दें कि इससे पहले भी कुक्कुट पालन क्षेत्र के लिए नियमावली बनाने और अमल सुनिश्चित किए जाने की मांग की जा रही थी.
याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा गया था कि मुर्गे-मुर्गियों को आजीवन एक बहुत छोटे से बैटरी केज (छोटे पिंजरों) में बड़ी ही क्रूरता के साथ रखा जाता है. जहां वो पंख भी नहीं फैला सकतीं. इसी प्रकार ब्रायलर मुर्गों को एक से दूसरे स्थान पर ट्रकों में ठूंसकर बड़े ही क्रूरता के साथ ले जाया जाता है. इसके साथ ही उन्हें फार्म में भी पर्याप्त जगह में नहीं रखा जाता है.
कुक्कुट पालन में पिंजरे के इस्तेमाल की अवधारणा यूरोप से ली गई है, जहां छोटे कुक्कुट पालन केंद्र होते है. जबकि भारत में अब काफी बड़े पैमाने पर हजारों की संख्या में पक्षी रखे जाने वाले कुक्कुट पालन केंद्र चल रहे है. इसलिए भारत में कम से कम सौ से अधिक पक्षी वाले कुक्कुट फार्म में पिंजरे का इस्तेमाल न तो सुरक्षित है ना ही व्यहारिक है.
भारतीय मानकों के मुताबिक कुक्कुट फार्म में प्रत्येक मुर्गे के लिये कम से कम 450 वर्ग सेंमी जगह होना चाहिये. जबकि इन फार्मों में पिंजरों में बंद मुर्गे मुर्गियों मानक से पांच गुना कम जगह मिल पा रही है. नतीजतन भूसे की तरह पिंजरों में बंद पक्षी ठीक से गर्दन भी नहीं उठा पाते हैं. इससे न सिर्फ इनकी गर्दन की हड्डी टूट जाती है बल्कि आपस में रगड़ने से पंख टूटने और शरीर पर जख्म भी हो अजते है जो कि पक्षियों में संक्रमक का कारण बनता है. यही संक्रमक बाद में इंसानों को कई गंभीर बीमारियां देता है. इसलिए छोटे पिंजरों वाले मुर्गी फार्म के अंडे और मांस सेहत के लिए खतरनाक है.