कृत्रिम बारिश कराना चाहती है दिल्ली की सरकार
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

प्रदूषण के कहर से जूझ रही दिल्ली की सरकार चाहती है कि शहर में क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम बारिश कराई जाए. शहर का प्रदूषण आम लोगों के लिए भारी मुसीबत बन गया है.दिल्ली सरकार इस साल प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश कराने की कोशिश में है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने मंगलवार को कहा कि राजधानी में लगातार बिगड़ती हवा की गुणवत्ता के कारण सांस संबंधी बीमारियों में बढ़ोतरी देखी जा रही है.

हर सर्दी में उत्तर भारत का बड़ा हिस्सा प्रदूषण से जूझता है. ठंडी धूल भरी हवा की परत, वाहनों से निकलने वाले और पंजाब-हरियाणा के खेतों में जलती पराली के कारण शहर में आए धुएं को वातावरण में रोक देती है, जिससे दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्र जहरीली धुंध में ढक जाते हैं.

क्लाउड-सीडिंग यानी बादलों में नमक डालकर कृत्रिम बारिश कराने पर 2023 में भी विचार किया गया था, लेकिन खराब मौसम के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका.

राय ने कहा, "मैं केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से अपील करता हूं, अब दिल्ली और उत्तर भारत में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 400 के स्तर तक पहुंच गया है. अगले 10 दिन बहुत अहम हैं. कृत्रिम बारिश के लिए अनुमति दें और एक बैठक बुलाएं."

बढ़ गए हैं बीमार

मंगलवार को दिल्ली के 39 में से एक तिहाई निगरानी स्टेशनों ने 400 से अधिक का गंभीर एक्यूआई दर्ज किया, जो स्वस्थ लोगों के लिए हानिकारक है और बीमार लोगों के लिए और भी खतरनाक है. वायु गुणवत्ता में 0 से 50 का स्कोर अच्छा माना जाता है. मंगलवार को पीएम 2.5 कणों का स्तर 278 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर पहुंच गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित अधिकतम सीमा से 18 गुना अधिक है. सबसे खराब दिनों में यह स्तर 30 गुना तक बढ़ जाता है.

दिल्ली और आसपास के निजी अस्पतालों में डॉक्टरों का कहना है कि दिवाली के बाद से सांस संबंधी बीमारियों के मरीज बढ़ गए हैं. पिछले हफ्ते मनाए गए इस त्योहार में लोगों ने पटाखों पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन किया और जमकर पटाखे फोड़े थे.

फोर्टिस अस्पताल के सीनियर डायरेक्टर (पल्मोनोलॉजी) प्रशांत सक्सेना ने कहा, "हम प्रदूषण के कारण अस्थमा, सीओपीडी और ब्रोंकाइटिस के मरीजों में 20-30 फीसदी की बढ़ोतरी देख रहे हैं."

गुरुग्राम के सीके बिड़ला अस्पताल के प्रमुख डॉक्टर कुलदीप कुमार ने बताया कि हर दिन 50 से ज्यादा लोग सांस संबंधी शिकायत लेकर आ रहे हैं, जिनमें से कुछ को भर्ती करने की जरूरत भी पड़ रही है.

शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान (ईपीआईसी) की एयर क्वॉलिटी लाइफ इंडेक्स रिपोर्ट कहती है कि बढ़ता वायु प्रदूषण दक्षिण एशिया के हर व्यक्ति की उम्र को पांच साल तक कम कर सकता है.

गरीबों पर कहर है प्रदूषण

भारत 2023 में दुनिया के सबसे प्रदूषित दस देशों में शामिल था. दिल्ली हर साल दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में गिनी जाती है. यह प्रदूषण आम लोगों पर दोहरी मार करता है. 24 साल के कारखाना मजदूर बलराम कुमार दिनभर काम करके घर लौटते हैं, लेकिन रातभर खांसी से जूझते रहते हैं. उन्होंने एएफपी को बताया, "पूरी रात ठीक से सो नहीं पा रहा हूं. हर बार खांसने पर सीने में दर्द होता है. दवाइयां ले रहा हूं, लेकिन राहत नहीं मिल रही."

उन्होंने मायूस होकर अपने सीने के एक्स-रे की ओर इशारा करते हुए कहा, "खांसी ठीक ही नहीं हो रही है."

सरकार द्वारा किए गए छोटे-मोटे प्रयास, जैसे सिग्नल पर गाड़ी का इंजन बंद रखने की अपील, इस समस्या पर कोई असर नहीं डाल सके हैं. लांसेट मेडिकल जर्नल में छपे एक अध्ययन के अनुसार, 2019 में भारत में 16.7 लाख लोगों की असमय मौत वायु प्रदूषण के कारण हुई.

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि वायु प्रदूषण से स्ट्रोक, दिल की बीमारी, फेफड़ों का कैंसर और अन्य सांस संबंधी बीमारियां हो सकती हैं.

लांसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल में जुलाई में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया कि भारत के 10 सबसे बड़े शहरों में वायु प्रदूषण के कारण सात प्रतिशत से अधिक मौतें हो रही हैं. दिल्ली में हर साल करीब 12,000 मौतें वायु प्रदूषण से जुड़ी हैं, जो कुल मौतों का 11.5 प्रतिशत है.

पिछले महीने भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने वायु प्रदूषण मुक्त वातावरण को "मूल मानव अधिकार" बताया और केंद्र तथा राज्य सरकारों को इस पर कदम उठाने का आदेश दिया था. हालांकि, आलोचकों का कहना है कि पड़ोसी राज्यों के नेताओं के आपसी मतभेद और केंद्र-राज्य के बीच की राजनीति ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है.

घर में रहने की सलाह

डॉक्टर मरीजों को सलाह दे रहे हैं और स्वास्थ्य को ठीक रखने के कुछ तरीके बता रहे हैं, जिनमें मुख्य रूप से घर के अंदर रहना, दरवाजे और खिड़कियां बंद रखना और बाहर जाने पर मास्क पहनना शामिल है.

65 वर्षीय मजदूर कांशी राम बताते हैं कि उन्हें लगातार खांसी हो रही है, जिससे वह इस हफ्ते काम पर भी नहीं जा सके. उन्होंने कहा, "डॉक्टर कह रहे हैं कि बाहर न जाएं और प्रदूषित हवा में सांस न लें."

कांशी राम हर दिन काम करने पर 500 रुपये कमाते हैं. उन्होंने कहा, "अगर बाहर नहीं जाऊंगा, तो कैसे जिंदा रहूंगा? बहुत बेबस महसूस कर रहा हूं."

स्विस समूह आईक्यूएयर के अनुसार 5 नवंबर को दिल्ली दुनिया का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा. पहले स्थान पर पाकिस्तान का लाहौर था. वहां भी 3 नवंबर को रिकॉर्ड प्रदूषण के बाद आपातकालीन कदम उठाए गए हैं.

पाकिस्तान के पूर्वी पंजाब प्रांत की सरकार ने इसके लिए भारत से आ रहे प्रदूषण को जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि इस मुद्दे को भारत के साथ विदेश मंत्रालय के जरिए उठाया जाएगा. विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण से लाहौर और दिल्ली को मिलकर लड़ने की जरूरत है.

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)