नई दिल्ली, 28 नवंबर : वास्तविक समय स्रोत विभाजन अध्ययन डेटा ने इस साल नवंबर में राष्ट्रीय राजधानी की चिंताजनक वायु गुणवत्ता के लिए बायोमास जलने, द्वितीयक एयरोसोल और वाहनों से धुआं निकलने को मुख्य कारण माना है. राउज़ एवेन्यू (सुपरसाइट) में पीएम 2.5 रियल टाइम सोर्स अपॉइंटमेंट के अनुसार, डेटा से पता चला है कि 23 से 26 नवंबर के बीच वे राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण में एक बड़ा योगदान दे रहे हैं. द्वितीयक एरोसोल, जो विभिन्न गैसों की परस्पर क्रिया से वायुमंडल में बनने वाले सल्फेट, नाइट्रेट, अमोनियम जैसे कण होते हैं.
द्वितीयक एयरोसोल संभावित स्रोतों में बिजली संयंत्र, रिफाइनरियां, ईंट भट्टे, वाहन, उद्योग, कृषि, जैविक अपशिष्ट अपघटन और खुली नालियां शामिल हैं. वास्तविक समय स्रोत विभाजन पर पोर्टल के अनुसार, पीएम2.5 में द्वितीयक अकार्बनिक एरोसोल की हिस्सेदारी 23 नवंबर को 36 प्रतिशत थी, जबकि अगले दिन यह घटकर 23 प्रतिशत हो गई और 25 नवंबर को एक बार फिर बढ़कर 29 प्रतिशत हो गई, जबकि 26 नवंबर को यह 26 फीसदी थी. पोर्टल के अनुसार, पीएम2.5 में वाहनों की हिस्सेदारी, जिसमें ऑफ और ऑन-रोड वाहन, पेट्रोल, डीजल, सीएनजी से चलने वाले वाहन और डीजल जनरेटर सेट शामिल हैं. प्रदूषण 23 नवंबर को 22 फीसदी, 24 नवंबर को 24 फीसदी, 25 नवंबर को 24 फीसदी और 26 नवंबर को 29 फीसदी रहा. यह भी पढ़ें : Uttarkashi Tunnel Accident: उत्तराखंड की सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने की पूरी कोशिश कर रही सरकार, बचाव अभियान में सतर्कता जरूरी- पीएम मोदी
पोर्टल के अनुसार, बायोमास जलाने, जिसमें लकड़ी, गोबर, कृषि अवशेष और पौधों की शाखाएं और पत्तियां शामिल हैं, का पीएम2.5 में हिस्सा 23 नवंबर को 27 प्रतिशत, 24 नवंबर को 40 प्रतिशत, 25 नवंबर को 37 प्रतिशत था और 26 नवंबर को 30 प्रतिशत रहा. अध्ययन परियोजना दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति द्वारा आईआईटी-कानपुर, आईआईटी-दिल्ली और टीईआरआई के सहयोग से शुरू की गई थी.