नई दिल्ली: भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने देश और नौसेना को एक नई सौगात दी है. दरअसल, लांबा ने नौसेना को पनडूब्बी बचाव पोत समर्पित किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये पोत समुद्र की गहराई तक जाने में सक्षम है. इतना ही नहीं ये पोत मुसीबत के दौरान गहरे समुद्र में जाएगा और पनडुब्बियों के दुर्घटनाग्रस्त होने पर उसमें फंसे लोगों की जान बचाने में सहायक होगा. इस खास पोत के भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद उसे एक नई ताकत मिलेगी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है. इसी के साथ भारत अब अमेरिका, इंग्लैंड, रूस, चीन, फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों की बराबरी पर आ गया है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन देशों के पास पहले से ही ये खास पोत है.
सफल परीक्षण के बाद किया गया शामिल
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में एक समारोह के दौरान नौसेना प्रमुख लांबा बोले कि इस खास पोत (डीएसआरवी) को नौसेना में शामिल किया गया है जो कि राष्ट्र और भारतीय नौसेना के लिए एक सम्मानजनक और गर्व की बात है. उन्होंने कहा कि, इस पोत ने भारतीय नौसेना को दुनिया की तमाम ताकतबर नौसेना की सूची में शामिल कर दिया है.
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गौरतलब है कि इस खास पौत को नौसेना में शामिल करने से पहले इसकी अत्याधुनिक तकनीकी का उपयोग कर इसका परीक्षण किया गया है. डीएसआरवी के परीक्षण में पास होने के बाद ही इसे नौसेना में शामिल किया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पोत के सफल परीक्षण में 60 से भी अधिक दिन का समय लगा है इनमें से तकरीबन 32 दिन तक ये पोत समुंद्र में रहा है. मुंबई में इस समारोह के मौके पर भारतीय नौसेना के वाइस एडमिरल गिरिश लूथरा ने इस पोत की खूबियों के बारे में बताया। लूथरा ने बताया कि ये एक बार में 14 लोगों की जान बचा सकता है.
इन खास तकनीकी से है लैस
डीएसआरवी की अगर खूबियों की बात की जाए तो आपको बता दें कि इसमें दो प्रणाली पर लगभग 2000 करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई है. खास तकनीकी से बना ये पोत समुद्र में 650 मीटर से भी ज्यादा गहराई तक जाकर गोता लगाने में सक्षम है. सुरक्षा के लिहाज से इसे अत्याधुनिक तकनीकी से लैस किया गया है. सबसे खास बात ये है कि मुसीबत के दौरान ये पोत घटनाग्रस्त हुई पनडुब्बी की लाइन तस्वीरें निकालने में भी सक्षम है. इस खास पोत का वजन लगभग 33 टन बताया जा रहा है.
बहरहाल, डीएसआरवी के भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद सेना को एक नई ताकत तो मिलेगी ही इसके साथ-साथ भारतीय समुद्री सीमा पर दुश्मनों की बढ़ती गतिविधियों को भी काफी हद तक रोका जा सकेगा.