बिहार में मासूमों पर चमकी बुखार का कहर जारी: मौत का आंकड़ा 112 के पार, केजरीवाल सरकार ने बढाया मदद का हाथ
बिहार में चमकी का कहर जारी (File Photo)

पटना: बिहार (Bihar) में एईएस (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) या चमकी बुखार से लगातार हो रही मासूमों की मौतों के बीच दिल्ली सरकार ने मदद की पेशकश की है. बिहार में ‘चमकी’ बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या बुधवार को बढ़कर 114 हो गई. उधर, इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई है. जिसपर शीर्ष कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा.

दिल्‍ली के डिप्‍टी सीएम मनीष सिसोदिया ने आज कहा कि बिहार सरकार को इस मामले में हर संभव मदद करने के लिए हम तैयार है. उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि बिहार सरकार को जिस तरह की भी मदद की जरूरत होगी दिल्ली सरकार करने के लिए तैयार है. उन्होंने आगे कहा कि डॉक्टर, दवाइयां, एंबुलेंस आदि हर प्रकार की सहायता देने के लिए तैयार है.

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने मांग की है कि बिहार में एईएस से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए केंद्र को तुरंत चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम गठित करनी चाहिए. याचिका में केंद्र को यह निर्देश देने का भी आग्रह किया गया है कि वह महामारी से पीड़ित बच्चों के प्रभावी इलाज के लिए सभी आवश्यक चिकित्सा उपकरण और अन्य मदद उपलब्ध कराए.

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आपको बता दें कि बिहार में पांच दिनों से भीषण गर्मी और लू का दौर जारी है. इसकी वजह से मुजफ्फरपुर स्थित एसकेएमसीएच अस्पताल में एक जून से अब तक 300 से अधिक बच्चे एईएस के लक्षणों के चलते भर्ती किए गए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक 140 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है और यह संख्या हर रोज बढ़ रही है.

गौरतलब हो कि इस मौसम में पिछले दो दशकों से यह बीमारी मुजफ्फरपुर सहित राज्य के कई इलाकों में होती है, जिसके कारण अब तक कई बच्चे असमय काल के गाल में समा चुके हैं. परंतु अब तक सरकार इस बीमारी से लड़ने के कारगर उपाय नहीं ढूढ़ पाई है. डॉक्टरों के मुताबिक एईएस कोई बीमाारी नहीं है. इसमें कई रोग (डिजीज) पाए जाते हैं, जिसमें से एक 'चमकी बुखार' भी है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट की मानें तो अधपकी लीची एईएस का कारण हो सकता है. दरअसल लीची में पाया जाने वाला एक विशेष प्रकार का तत्व इस बुखार का कारण हो सकता है. खास बात यह है कि एईएस से होने वाला बुखार फैलने का दौर अमूमन मुजफ्फरपुर जिले में लीची के उत्पादन के मौसम में होता है.

इस बीमारी के शिकार आमतौर पर गरीब परिवारों के बच्चे होते हैं. 15 वर्ष तक की उम्र के बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं, और मृतकों में अधिकांश की आयु एक से सात वर्ष के बीच है. एईएस से ग्रसित बच्चों को पहले तेज बुखार और शरीर में ऐंठन होता है और फिर वे बेहोश हो जाते हैं.