पहाड़ चीरकर नहर बनाने वाले दैतारी नायक नहीं लौटाएंगे अपना पद्मश्री अवार्ड, चीटियों के अंडे खाने वाली रिपोर्ट भी झूठी
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्मश्री' से नवाजे गए ओडिशा के आदिवासी किसान दैतारी नाइक (Daitari Naik) ने मीडिया रिपोर्ट्स में किए जा रहे दावों को खारिज कर दिया है. दैतारी ने कहा कि वह अपना अवार्ड वापस नहीं करने वाले है और ना ही उन्होंने चीटियों के अंडे खाए है.
भुवनेश्वर: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) के हाथों भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्मश्री' (Padma Shri) से नवाजे गए ओडिशा के आदिवासी किसान दैतारी नाइक (Daitari Naik) ने मीडिया रिपोर्ट्स में किए जा रहे दावों को खारिज कर दिया है. दैतारी ने कहा कि वह अपना अवार्ड वापस नहीं करने वाले है और ना ही उन्होंने चीटियों के अंडे खाए है.
मीडिया में ऐसी खबरे आई थी कि 70 वर्षीय दैतारी नायक अपने अवार्ड को वापस करना चाहते है. अवार्ड वापस करने के पीछे उनका कहना है कि जब से उन्हें यह सम्मान मिला है. तब से उनको काम नहीं मिल रहा है. ऐसे में उनकी और उनके परिवार की हालत ऐसी हो गई है कि उन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो पा रही है. और हालत ये है कि जिंदा रहने के लिए उन्हें चींटियों के अंडे खाने पड़ रहे हैं.
उन्होंने कहा, "हालांकि मुझे दिन-प्रतिदिन के जीवन में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन अवार्ड लौटाने का कोई सवाल ही नहीं है. यह पुरस्कार मुझे मेरी कड़ी मेहनत के लिए दिया गया है और यह मेरे और मेरे परिवार के लिए गर्व की बात है. मैं इसे क्यों लौटाऊंगा?"
इसके साथ ही उन्होंने उन रिपोर्टों का भी खंडन किया जिसमें कहा गया था कि वे जीवित रहने के लिए चींटी के अंडे खाते है. उन्होंने कहा "मैंने कभी चींटी के अंडे नहीं खाए क्योंकि मैं मछली नहीं हूं. यह सब गलत और मनगढ़ंत खबर है."
ओडिशा के दैतारी नायक को ‘ओडिशा का कैनाल मैन’ (Canal Man of the Odisha) कहा जाता है. दरअसल उन्होंने अपने गांव बैतरनी में अपने हाथों से पहाड़ काटकर तीन किलोमीटर तक नहर का रास्ता बना दिया था. उन्होंने यह काम अपने खेत में पानी लाने के लिए केवल कुदाल की मदद से किया था. अपने परिश्रम से सिंचाई और पानी की समस्या हमेशा के लिए ख़त्म कर दी थी. इस वहज से इसी साल उन्हें ‘सामाजिक कार्य’ श्रेणी में पद्मश्री प्रदान किया गया.