नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश को एक नई एडवाइजरी जारी की है. इस एडवाइजरी में साफ तौर पर राज्य सरकारों और सभी केंद्र शासित प्रदेशों को महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले में सही तरीके से काम करने और मामलों में लापरवाही न बरतने का दिशा-निर्देश जारी किया गया है. इसमें कहा गया है कि नियमों का पालन नहीं करना न्याय दिलाने के लिहाज उचित नहीं होगा. गृह मंत्रालय ने पुलिस स्टेशनों में महिला सहायता डेस्क की स्थापना और सुदृढ़ीकरण के लिए 'निर्भया फंड' से 100 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. यह योजना राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू की जाएगी.
केंद्रीय गृह मंत्रालय और महिला बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से सभी थानों में महिला सहायता डेस्क और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की स्थापना की जाएगी. यौन अपराधाों के मामले में FIR दर्ज करना अनिवार्य है. गृह मंत्रालय की तरफ से दिए गए दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि अगर महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कोई चूक होती है तो मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. उत्तर प्रदेश में नहीं थम रही रेप की वारदातें, शिकोहाबाद और दादरी में नाबालिक से बलात्कार.
राज्यों और केंद्रसाशित प्रदेशों के लिए एडवाइजरी-
Ministry of Home Affairs issues advisory to States and Union Territories for ensuring mandatory action by police in cases of crime against women. pic.twitter.com/dx1sQmzXLW
— ANI (@ANI) October 10, 2020
गृह मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि महिला के खिलाफ अपराध यदि थाने के अधिकार क्षेत्र के बाहर हुआ है तो उस स्थिति में 'जीरो FIR'दर्ज की जाए. गृह मंत्रालय की ओर से जारी एडवाइजरी में यह भी कहा गया है कि यौन अपराधों के मामले में पूरी जांच दो महीने के अंदर पूरी हो जानी चाहिए और इसकी रिपोर्ट सरकार की ओर से बनाए गए पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाना चाहिए.