मुंबई: नए ओमिक्रॉन (Omicron) कोविड-19 स्ट्रेन के कारण पूरी दुनिया हाई अलर्ट पर है. इस बीच सब के मन में एक सवाल उठ रहा है कि क्या मौजूदा वैक्सीन अफ्रीका के बोत्सवाना (Botswana) में पहली बार मिले कोरोना वायरस के इस नए वेरियंट (B.1.1.529) से सुरक्षा देने में सक्षम है. वायरोलॉजिस्ट और संक्रामक रोग विशेषज्ञों का दावा है कि कोविशील्ड (Covishield) और कोवैक्सीन (Covaxin) ओमिक्रॉन से संक्रमित व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु होने की संभावना को कम कर सकता हैं. Botswana Variant: भारत में नए कोरोना वेरिएंट बोत्सवाना का कोई मामला नहीं, लेकिन सभी राज्य हुए अलर्ट- इस वजह से दुनिया में मची है खलबली
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महामारी विज्ञान और संचारी रोग विभाग के पूर्व प्रमुख और वरिष्ठ वैज्ञानिक रमन गंगाखेडकर (Raman Gangakhedkar) ने कहा “सैद्धांतिक रूप से, यह संभव है कि ओमिक्रॉन वैक्सीन की प्रभावकारिता को चुनौती दे सकता है. लेकिन, हम जानते हैं कि हमारी वैक्सीन अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु को रोकते हैं और वही ओमिक्रॉन वेरियंट के खिलाफ शक्तिशाली हो सकते हैं. लोगों को वैक्सीन की दो खुराक लेनी चाहिए और कोविड-19 के उपयुक्त व्यवहार का पालन करना चाहिए, विशेष रूप से मास्क पहना, ताकि ऐसे वेरियंट के संक्रमण को रोका जा सके.”
गंगाखेडकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) टीम के उन 26 सदस्यों में से एक हैं जिन्हें SARS-CoV-2 जैसे रोगजनकों की उत्पत्ति की जांच करने के लिए नियुक्त किया गया है, जो महामारी का कारण बनते हैं.
वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि "वैक्सीन या प्राकृतिक तौर पर संक्रमण के बाद बनने वाले प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से बचने में ओमिक्रॉन की क्षमता कितनी है, यह समझने के लिए अभी तक पर्याप्त डेटा नहीं है. इसलिए, हमें वैक्सीन कवरेज को बढ़ाना जारी रखना चाहिए ताकि अस्पताल में भर्ती होने वाले रोगियों की संख्या न बढ़े.” उन्होंने कहा, जिन लोगों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ है, उन्हें वैक्सीन की दोनों डोज लेनी चाहिए और एक डोज लेने वालों को जल्द से जल्द दूसरी डोज लेनी चाहिए.”
उल्लेखनीय है कि सार्स-सीओवी-2 के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन डेल्टा सहित अन्य वेरिएंट से भी खतरनाक बताया जा रहा है. इसे बी.1.1.529 के नाम से भी जाना जाता है. डब्ल्यूएचओ ने पिछले सप्ताह ही इस नए संक्रमण को ग्रीक शब्द ओमिक्रॉन नाम दिया है.
शोधकर्ताओं ने बोत्सवाना के जीनोम-सीक्वेंसिंग डेटा में बी.1.1.529 की पुष्टी की है. इस वेरिएंट को अधिक खतरनाक बताया जा रहा है. क्योकि इसमें स्पाइक प्रोटीन में 30 से अधिक परिवर्तन शामिल हैं. सार्स-सीओवी-2 प्रोटीन ही मेजबान कोशिकाओं को पहचानता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं का मुख्य लक्ष्य निर्धारित करता है.
पिछले हफ्ते, वैश्विक स्वास्थ्य निकाय ने सार्स-सीओवी-2 वायरस के नवीनतम वेरिएंट ओमिक्रॉन को एक चिंता का वैरिएंट (वैरिएंट ऑफ कंसर्न या वीओसी) के रूप में वगीर्कृत किया था, जिसका अर्थ है कि यह अधिक संक्रामक और खतरनाक साबित हो सकता है. इसके बारे में पहली बार अफ्रीका में बोत्सवाना से पता चला था और यह तब से यूरोप के विभिन्न देशों में फैल गया है, जिसमें बेल्जियम, नीदरलैंड, फ्रांस और ब्रिटेन के साथ ही ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देश भी शामिल हैं.
डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने सोमवार को कहा “हम (ओमिक्रॉन) वेरिएंट के बारे में और जानने के लिए इंतजार कर रहे हैं. ऐसे कई बदलाव डेल्टा और अल्फा जैसे वेरिएंट में पाए गए हैं, और ये बढ़ी हुई संक्रामकता और संक्रमण-अवरोधक एंटीबॉडी से बचने की क्षमता से जुड़े हैं.”
स्वास्थ्य विशेषज्ञ ओमिक्रॉन को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि बताया जा रहा है कि यह अपने रूप बदलता है. हालांकि डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह वैरिएंट कितना पारगम्य यानी फैलने की क्षमता रखता है और इस बात भी अभी कोई स्पष्टता नहीं है कि क्या यह बीमारी की गंभीरता को बढ़ाएगा. यह भी अभी तक स्पष्ट नहीं है कि डेल्टा सहित अन्य वेरिएंट या प्रकारों के संक्रमण की तुलना में ओमिक्रॉन के साथ संक्रमण अधिक गंभीर बीमारी का कारण बनता है.