COVID-19: अब पसीने से चलेगा कोरोना वायरस का पता, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र ने बायोसेंसर किया विकसित
इलाहाबाद विश्वविद्यालय (एयू) के एक पूर्व छात्र ने बायोसेंसर विकसित करने का दावा किया है, जिससे पसीने से कोविड-19 संक्रमण का पता लगाया जा सकता है.
COVID-19 Detection Becomes Easier: कोरोना वायरस (Coronavirus) का प्रकोप भले ही थोड़ा कम हुआ हो, लेकिन इसके मामले लगातार सामने आ रहे हैं. वैसे वैज्ञानिक लगातार इस वायरस को लेकर नए-नए शोध कर रहे हैं. इस बीच इलाहाबाद विश्वविद्यालय (एयू) (Allahabad University) के एक पूर्व छात्र ने बायोसेंसर (Biosensor) विकसित करने का दावा किया है, जिससे पसीने से कोविड-19 संक्रमण का पता लगाया जा सकता है. क्वांटा कैलकुलस (Quanta Calculus), ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) में वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत 34 वर्षीय अमित दुबे का दावा है कि उन्होंने कोविड का पता लगाने के लिए बायोमेडिकल और बायोसेंसिंग अनुप्रयोगों के लिए दुनिया का पहला विशिष्ट, विश्वसनीय अल्ट्रा-स्मॉल गोल्ड नैनोक्लस्टर विकसित किया है.
उनके काम से प्रभावी और सस्ती टेस्ट किट्स का एक नया युग हो सकता है जो नाक या गले से नमूने लेने के बजाय किसी व्यक्ति के पसीने का उपयोग करके कोविड -19 का पता लगाने में सक्षम है और ऐसे किट्स की जरूरत आज के समय में सबसे ज्यादा है. यह भी पढ़ें: COVID-19: देश में अब तक पाए गए कोरोना के 11 वैरिएंट, सभी पर भारतीय कोविड वैक्सीन पूरी तरह कारगर
अमित दुबे के शोध के निष्कर्ष हाल ही में विली द्वारा एक अमेरिकी पत्रिका 'ल्यूमिनेसिसेंस: द जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल एंड केमिकल ल्यूमिनसेंस' (The Journal of Biological and Chemical Luminescence) में प्रकाशित हुए हैं. दुबे ने कहा कि बायोसेंसर एक-चरण की पहचान या सेंसिंग तकनीक होगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा- मुझे उम्मीद है कि इस शोध से कम लागत वाले बायोसेंसर की एक नई पीढ़ी तैयार हो सकती है.