ई-नाम पोर्टल के जरिए महिला किसान ने करीब डेढ़ टन तरबूज बेच कमाया मुनाफा
कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन में भारतीय किसानों ने टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ाया है. इसी के तहत रांची की किरण खलखो लॉकडाउन के दौरान ईनाम पोर्टल के जरिए तरबूज बेच रही हैं.
कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन में भारतीय किसानों ने टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ाया है. इसी के तहत रांची की किरण खलखो लॉकडाउन के दौरान ईनाम पोर्टल के जरिए तरबूज बेच रही हैं. इससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है. दरअसल लॉकडाउन में ई-नाम पोर्टल किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है. कोरोना माहामरी के बढ़ते प्रकोप में किसानों के लिए आशा की नई किरण बनकर आए ई-नाम पोर्टल किसानों के उत्पाद को बेहतर प्लेटफॉर्म पर बिक्री की सुविधा प्रदान कर मुनाफा दे रहा है.
रातू प्रखंड के चित्तरकोटा गांव में तरबूज की खेती कर रही किरण खलखो बताती हैं कि अब बाहर से व्यापारी आ रहे हैं और खेत से ही डायरेक्ट उनका तरबूज उचित दाम ले कर जाते हैं. दरअसल महिला किसान किरण खलखो ने ई-नाम पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन कराया और पोर्टल के जरिए आठ रूपये की दर से करीब डेढ़ टन तरबूज की बिक्री की. किरण खलको ने बताया कि उनका पैसा भी खाते में आ चुका है.
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महिला किसान ने बताया कि उन्होंने आधुनिक तरीके से खेती की और कम लागत में अधिक से अधिक उत्पादन किया और मुनाफा कमाया. उन्होंने कहा कि डेढ़ एकड़ खेत में ड्रिप इरिगेशन से खेती करना शुरू किया, जिसकी वजह से सरकार की ओर से सब्सिडी भी मिल रही है और पानी का खर्च भी कम हो गया है.
इस संबंध में पंडरा बाजार समिति के सचिव अभिषेक आनंद ने बताया कि समिति किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलवाने और बिक्री के लिए प्रयासरत है. उन्होंने कहा कि किसान खुद ही दाम तय करते हैं, जिससे उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती. उन्होंने अन्य किसानों को भी पोर्टल का लाभ लेने और जुड़ने को कहा. वैसे झारखंड में ये पहला मौका है जब किसी महिला किसान ने इस तरह खेती की और ई-नाम पोर्टल के जरिए कृषि उत्पादक की बिक्री की गई है. वहीं देश अन्य किसान भी इस मुश्किल वक्त में लगातार इस पोर्टल से जुड़ रहे हैं और अपने उत्पाद बेच रहे हैं.