कोरोना संकट: वैक्सीन का इंतजार करें लेकिन उस पर आश्रित न रहें- स्वास्थ्य विशेषज्ञ

र्थव्‍यवस्‍था को पटरी पर वापस लाने के लिए लॉकडाउन के चौथे चरण में कई सारी रियायतें दी गई हैं. यानी जिंदगी ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है. ऐसे में अगर आप यह सोचेंगे कि वैक्‍सीन के बिना बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं है, तो तनाव और बढ़ेगा. स्वास्थ्‍य विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्‍सीन का इंतजार करें, लेकिन उस पर आश्रित न रहें.

कोरोनावायरस (Photo Credits: IANS)

अर्थव्‍यवस्‍था को पटरी पर वापस लाने के लिए लॉकडाउन (lockdown) के चौथे चरण में कई सारी रियायतें दी गई हैं. यानी जिंदगी ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है. ऐसे में अगर आप यह सोचेंगे कि वैक्‍सीन के बिना बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं है, तो तनाव और बढ़ेगा. स्वास्थ्‍य विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्‍सीन (Vaccine) का इंतजार करें, लेकिन उस पर आश्रित न रहें. उसके इंतजार में अपने काम बंद मत कर दें. माइंड स्पेशियलिस्ट्स के निदेशक डॉ. अवधेश शर्मा (Avdesh Sharma) ने आकाशवाणी से बातचीत में कहा, "जहां तक वैक्सीन  की बात है यह एक दिन में नहीं आती, उसके शोध और प्रक्रिया में काफी समय लगता है और अगर बन भी जाएगी तो पूरे विश्व में एक साथ इतने लोगों को नहीं मिल पाएगी. इसलिए वैक्सीन का इंतजार करें लेकिन उस पर आश्रित न रहें.

क्योंकि वैक्सीन के इंतजार में ज्यादा दिन, ऐसे सब कुछ बंद नहीं रहेगा. इसलिए जो सरकार की ओर से नियम बनाए गए हैं, उनका पालन करेंगे तो भी सुरक्षित रहेंगे. एक बात और जरूरी है, वैक्सीन कब आएगी या अब तक नहीं आई, इस बात को लेकर बार-बार तनाव भी न लें। तनाव से या ज्यादा परेशान होकर सोचने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और ऐसे समय में जब बाहर संक्रमण फैला है, रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम नहीं होने दें.यह वायरस से लड़ने में बहुत मदद करती है.इसलिए खाने-पीने का खास ध्यान रखें. यह भी पढ़े: कोरोना को मात देने के लिए देश में आयुष दवाओं का ट्रायल किया गया शुरू, जल्द मिल सकती है गुड न्यूज

उन्होंने आगे कहा कि लॉकडाउन में तनाव किस लिए लेना बल्कि इस दौरान सभी को यह समझ में आ गया है कि हमारी अंधाधुंध भागदौड़ पर विराम लग गया है.  यह पता चला कि हमारे लिए, समाज के लिए, परिवार के लिए क्या जरूरी है. इस समय यह समझ आया कि कम के साथ भी अच्छी जिंदगी जी सकते हैं. जहां 20 कपड़े लेते थे, अब पता चला कि पांच में आराम से जिंदगी चल सकती है. कम पैसे में भी खुद को सेहतमंद रख सकते हैं. परिवार में सबको जानने, समझने और समय देने का मौका मिला है। इस वक्त खुद को थोड़ा बदलें.

जिस प्रश्न का उत्तर नहीं पता उसे बार-बार न सोंचे

डॉ. शर्मा कहते हैं कि इस वक्त अलग-अलग लोगों की अलग-अलग परेशानी है. कुछ के मन में कई सवाल चल रहे हैं तो कई लोग परेशान होते हैं कि कोरोना वायरस की वैक्सीन कब तक आएगी और सुरक्षित होंगे. उन्होंने कहा कि ये वक्त परेशान होने या तनाव लेने का नहीं है। लॉकडाउन में अब ढील दी गई है, कंपनियां खुल रही हैं, कई नई राहें और आएंगी. कई नए मौके आएंगे, लेकिन इसके लिए खुद को सुरक्षित रखना जरूरी है. किसी को घबराने की या तनाव लेने की जरूरत नहीं है. कई बार कुछ ऐसा होता है, जो सोचा भी नहीं होता. कभी-कभी परीक्षा छूट जाती है, जो नौकरी चाहिए वो नहीं मिलती या परीक्षा में ऐसा प्रश्न आ जाता है, जिसका उत्तर नहीं जानते. ऐसा कई बार होता है। इस बार पूरे देश के सामने ऐसा प्रश्न आया है, जिसका उत्तर किसी के पास नहीं, तो इस वक्त जिसका उत्तर नहीं जानते, उसके बारे में इतना क्यों सोचें. आने वाले कल की सोचने की बजाय आज में किसी की मदद करें.

दिन-भर टीवी और ऑनलाइन वीडियो से बचें

डॉ. शर्मा ने अभिभावकों को सलाह देते हुए कहा कि दिन भर केवल टीवी, वीडियो देखना शरीर के लिए सही नहीं है. इससे आंखों पर भी असर पड़ता है। किसी को भी एक दिन में 3-4 घंटे से ज्यादा टीवी नहीं देखना चाहिए. कुछ बच्चे ऑनलाइन क्लास या कोर्स करते हैं, यह समय उसके लिए बचा कर रखें। इसके बदले किसी विषय पर चर्चा कर सकते हैं, कुछ लिख सकते हैं। इससे सोचने, समझने और जानने की इच्छा बढ़ेगी. परिवार के साथ समय बिताए। जरूरत से ज्यादा या दिन भर टीवी वीडियो न देखें.

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