‘धार्मिक पर्यटन’ का हब बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा छत्तीसगढ़, सीएम भूपेश बघेल की अगुवाई में खाका तैयार
राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना (Photo Credits: Facebook)

रायपुर: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के धार्मिक तीर्थ शिवरीनारायण में रामनवमीं पर खास कार्यक्रम आयोजित किया गया, इसके जरिये मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने स्पष्ट संदेश दिया की राज्य को धार्मिक, ऐतिहासिक और पौराणिक तौर पर विकसित और प्रसिद्ध किया जाएगा. छत्तीसगढ़ सरकार भगवान श्रीराम के वनवास काल की स्मृतियों को सहेजने के लिए महत्वाकांक्षी परियोजना राम वन गमन पर्यटन परिपथ (Ram Van Gaman Paryatan Paripath) शुरू की है. जिंदल स्टील छत्तीसगढ़ में लगाएगी भारत का दूसरा कोयला गैसीकरण संयंत्र

इसके अंतर्गत प्रथम चरण में चयनित नौ पर्यटन तीर्थों का तेजी से कायाकल्प कराया जा रहा है. इन सभी पर्यटन तीर्थों की आकर्षक लैण्ड स्कैपिंग के साथ-साथ पर्यटकों के लिए सुविधाओं का विकास भी किया जा रहा है. 139 करोड़ रूपए की इस परियोजना में उत्तर छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले से लेकर दक्षिण छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले तक भगवान राम के वनवास काल से जुड़े स्थलों का संरक्षण एवं विकास किया जा रहा है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर में वर्ष 2019 में भूमिपूजन कर राम वनगमन पर्यटन परिपथ के निर्माण की शुरूआत की थी. इस परिपथ में आने वाले स्थानों को रामायणकालीन थीम के अनुरूप सजाया और संवारा जा रहा है. छत्तीसगढ़ शासन की इस महात्वाकांक्षी योजना से भावी पीढ़ी को अपनी सनातन संस्कृति से परिचित होने के अवसर के साथ ही देश-विदेश के पर्यटकों को उच्च स्तर की सुविधाएं भी प्राप्त होगी.

छत्तीसगढ़ की संस्कृति एवं परम्परा में प्रभु श्री राम रचे-बसे है. इसका मुख्य कारण है कि छत्तीसगढ़ वासियों के लिए श्री राम केवल आस्था ही नहीं है बल्कि वे जीवन की एक अवस्था और आदर्श व्यवस्था भी हैं. छत्तीसगढ़ में उनकी पूजा भांजे के रूप में होती है. रायपुर से महज 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चंदखुरी, आरंग को माता कौशल्या की जन्मभूमि और श्रीराम का ननिहाल माना जाता है.

वनवास काल के दौरान अयोध्या से प्रयागराज, चित्रकूट सतना गमन करते हुए श्रीराम ने दक्षिण कोसल याने छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के भरतपुर पहुंचकर मवई नदी को पार कर दण्डकारण्य में प्रवेश किया. मवई नदी के तट पर बने प्राकृतिक गुफा मंदिर, सीतामढ़ी-हरचौका में पहुंचकर उन्होंने विश्राम किया.

राम वन गमन पर्यटन परिपथ के अंतर्गत प्रथम चरण में सीतामढ़ी-हरचौका (जिला कोरिया), रामगढ़ (जिला सरगुजा), शिवरीनारायण (जिला जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (जिला बलौदाबाजार), चंदखुरी (जिला रायपुर), राजिम (जिला गरियाबंद), सप्तऋषि आश्रम सिहावा (जिला धमतरी), जगदलपुर और रामाराम (जिला सुकमा) को विकसित किया जा रहा है.

शिवरीनारायण मंदिर

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी ‘राम वन गमन पर्यटन सर्किट’ कार्यक्रम के तहत पुनर्निर्मित शिवरीनारायण मंदिर का उद्घाटन किया. शिवरीनारायण मंदिर परियोजना के पहले चरण में चिह्नित नौ स्थलों की सूची में दूसरे स्थान पर है. मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान राम के वनवास काल की स्मृतियों को संजोने के लिए सर्किट विकसित किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस महत्वाकांक्षी योजना से आने वाली पीढ़ी को इसकी सनातन संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलेगा और देश-विदेश के पर्यटकों को भी उच्च स्तरीय सुविधाएं मिलेंगी.

छत्तीसगढ़ में महानदी, शिवनाथ और जोंक नदी के संगम पर बसा शिवरीनारायण. यह धार्मिक, ऐतिहासिक और पौराणिक नगरी के रूप में प्रसिद्ध है. मान्यता के अनुसार यह वही स्थान है जहां भगवान राम ने वनवास काल के दौरान शबरी के जूठे बेर खाए थे.

देश के चार प्रमुख धाम बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथपुरी और रामेश्वरम के बाद शिवरीनारायण को पांचवे धाम की संज्ञा दी गई है. यह स्थान भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान है, इसलिए छत्तीसगढ़ के जगन्नाथपुरी के रूप में प्रसिद्ध है. यहां प्रभु राम का नारायणी रूप गुप्त रूप से विराजमान है, इसलिए यह गुप्त तीर्थधाम या गुप्त प्रयागराज के नाम से भी जाना जाता है.

चांपा-जांजगीर जिले के शिवरीनारायण रामायण कालीन घटनाओं से जुड़ा है. मान्यता के अनुसार वनवास काल के दौरान यहां प्रभु राम ने शबरी के जूठे बेर खाए थे. रामायण काल की स्मृतियों को संजोने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राम वन गमन पर्यटन परिपथ के विकास के लिए कॉन्सेप्ट प्लान बनाया गया है. इस प्लान में शिवरीनारायण में मंदिर परिसर के साथ ही आस-पास के क्षेत्र के विकास और श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुविधाओं के लिए यहां 39 करोड़ रूपए की कार्य योजना तैयार की गई है. प्रथम चरण में छह करोड़ रूपए के विभिन्न कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं, इससे यहां आने वाले लोगों को नई सुविधाएं मिलेंगी.

जनश्रुति के अनुसार प्रभु राम वनवास काल में मांड नदी से चंद्रपुर ओर फिर महानदी मार्ग से शिवरीनारायण पहुंचे थे, छत्तीसगढ़ में कोरिया जिले के भरतपुर तहसील में मवाई नदी से होकर जनकपुर नामक स्थान से लगभग 26 किलोमीटर की दूर पर स्थित सीतामढ़ी-हरचौका नामक स्थान से प्रभु राम ने छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था. प्रभु राम ने अपने वनवास काल के 14 वर्षों में से लगभग 10 वर्ष से अधिक समय छत्तीसगढ़ में विभिन्न स्थानों पर व्यतीत किया था.