Chhatramanas Scheme: महाराष्ट्र की राज्य सरकार ने विशेषकर सरकारी मेडिकल कॉलेजों में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने के उद्देश्य से छात्रमानस योजना शुरू की है. इस योजना के तहत, प्रत्येक सरकारी मेडिकल कॉलेज में दो काउंसलर के साथ एक राज्य स्तरीय कमेटी के साथ एक सेल होगा, जो योजना के तहत की जाने वाली विभिन्न पहलों की वार्षिक योजना तैयार करेगा.
चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा घोषित इस योजना के अनुसार साइकोलॉजी के प्रोफेसर की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय तीन सदस्यीय समिति होगी. यह समिति योजना के नियमित मूल्यांकन एवं समीक्षा के साथ-साथ इसके क्रियान्वयन की योजना भी तैयार करेगी. ये भी पढ़े :क्या डायबिटीज बढ़ा सकता है गर्भाशय फाइब्रॉएड का खतरा, विशेषज्ञों ने दिया जवाब
योजना के तहत विभिन्न गतिविधियों में एक हेल्पलाइन नंबर की स्थापना, मानसिक-स्वास्थ्य पर विशेषज्ञों द्वारा बातचीत, क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों को शामिल करना और छात्रों और शिक्षकों के बीच संवाद में सुधार करना शामिल होगा. समिति हर तीन महीने में सभी गतिविधियों की समीक्षा प्रस्तुत करने के लिए जिम्मेदार होगी.
इन सभी गतिविधियों को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए, प्रत्येक सरकारी मेडिकल कॉलेज में एक सेल होगा जिसमें दो काउंसलर होंगे जो संविदा कर्मचारी होंगे. चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा इस संबंध में जारी जीआर में 11 महीने के अनुबंध पर काउंसलर के रूप में नियुक्त किए जाने वाले व्यक्तियों के लिए आवश्यक शैक्षणिक योग्यताएं भी निर्धारित की गई हैं.
जीआर में कहा गया है, “आज के व्यस्त, डिजिटल युग और बढ़ती प्रतिस्पर्धा में, मानव जीवन शारीरिक और मानसिक रूप से दैनिक आधार पर प्रभावित होता है. जहां शारीरिक बीमारियों की जांच की जाती है और उनका उपचार किया जाता है, वहीं मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को नजरअंदाज कर दिया जाता है और वे इसे अनजान बने रहते हैं. इससे भविष्य में अवसाद, आत्महत्या जैसे गंभीर मुद्दे सामने आते हैं. इससे बचने के लिए, शुरू से ही इन मुद्दों की पहचान करना महत्वपूर्ण है और थेरेपी या परामर्श इस दिशा में पहला कदम हो सकता है.
मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में चिंताएं पहली बार इस साल जनवरी में जीएमसी छात्रों और महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस (एमयूएचएस) के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानिटकर के बीच एक बैठक के दौरान उठाई गई थीं. छात्रों ने कॉलेजों में अनुभव होने वाले तनाव के बारे में बात की थी. इस बैठक के परिणामस्वरूप चिकित्सा शिक्षा आयुक्त द्वारा योजना की सिफारिश करते हुए राज्य चिकित्सा शिक्षा विभाग को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था.