Chandrayaan-3: भारत के चंद्रयान-3 के लैंडर ने सफलतापूर्वक चांद के दक्षिणी ध्रुव में सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रचा है. इस एतिहासिक उपलब्धि के बाद हर किसी के मन में यही सवाल है कि चंद्रमा पर चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर किस तरह काम कर रहे हैं. इसरो ने इस संबंध में नया अपडेट साझा किया है. ISRO ने बताया कि सभी गतिविधियां निर्धारित समय पर हैं. सभी सिस्टम ठीक तरह से काम कर रहे हैं. Chandrayaan-3: चांद पर चल रहे 'रोवर प्रज्ञान' और विक्रम लैंडर को इस चीज से है बड़ा खतरा, ISRO चीफ ने कहा- चैलेंज कभी खत्म नहीं हुआ.
इसरो ने बताया कि लैंडर मॉड्यूल पेलोड ILSA, RAMBHA और ChaSTE आज चालू हो गए हैं. रोवर गतिशीलता संचालन शुरू हो गया है. प्रोपल्शन मॉड्यूल पर SHAPE पेलोड रविवार को चालू किया गया था. इसरो ने बताया कि लैंडर और रोवर के उतरने के बाद उनपर मौजूद प्रणालियां का एक के बाद एक ठीक तरह से प्रयोग कर रहे हैं.
ISRO ने शेयर किया वीडियो:
Chandrayaan-3 Mission:
All activities are on schedule.
All systems are normal.
🔸Lander Module payloads ILSA, RAMBHA and ChaSTE are turned ON today.
🔸Rover mobility operations have commenced.
🔸SHAPE payload on the Propulsion Module was turned ON on Sunday.
— ISRO (@isro) August 24, 2023
रोवर और लैंडर के पास 14 दिनों का समय
इसरो को उम्मीद है कि लैंडर और रोवर अपना काम 14 पृथ्वी दिनों के भीतर ठीक से पूरा कर सकें. इससे पहले कि चंद्रमा पर गहरा अंधेरा और अत्यधिक ठंडा मौसम हो जाए. इसरो को यह भी उम्मीद है कि इस मिशन की अवधि एक चंद्र दिवस या पृथ्वी के 14 दिन तक सीमित नहीं रहेगी और चांद पर फिर से सूर्य निकलने पर यह पुन: सक्रिय हो सकता है. रोवर और लैंडर तब तक ही काम करेंगे जब तक सूरज की रोशनी रहेगी. सूरज के प्रकाश से इनमें लगे सिस्टम को ऊर्जा मिलती रहेगी.
इसरो के चीफ एस सोमनाथ सोमनाथ ने कहा, ‘‘जैसे ही सूर्य अस्त होगा, हर तरफ गहरा अंधेरा होगा. तापमान शून्य से 180 डिग्री सेल्सियस नीचे चला जाएगा. तब प्रणालियों का काम कर पाना संभव नहीं होगा और यदि यह आगे चालू रहता है तो हमें खुश होना चाहिए कि यह फिर से सक्रिय हो गया है और हम एक बार फिर से प्रणाली पर काम कर पाएंगे.’’
चंद्रयान का लैंडर विक्रम बुधवार शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा और इसने इस मिशन की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के साथ एक उद्देश्य पूरा किया. कुल 1752 किलोग्राम वजनी लैंडर और रोवर चंद्रमा के वातावरण का अध्ययन करने के लिए एक चंद्र दिन (पृथ्वी के 14 दिन) के प्रकाश में परिचालन करने के लिए डिजाइन किए गए हैं. उम्मीद है कि चांद के दक्षिणी छोर पर दोबारा सूर्य प्रकाश मिलने पर लैंडर और रोवर फिर एक्टिव हो जाएं.