Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि का छठा दिन, पीएम मोदी और सीएम आदित्यनाथ ने आदिशक्ति को किया प्रणाम
मां दुर्गा और पीए मोदी (Photo Credits: Pixabay/FB)

नई दिल्ली, 3 अप्रैल : चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की आराधना होती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मां के छठे रूप से सुख-समृद्धि की याचना की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 3 अप्रैल को बैंकॉक रवाना हो गए. वह थाई प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थाईलैंड के प्रधानमंत्री पैटोंगटार्न शिनावात्रा के निमंत्रण पर दो दिवसीय यात्रा पर गए हैं. प्रधानमंत्री मोदी 4 अप्रैल 2025 को आयोजित होने वाले छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भी भाग लेंगे.

इस बीच, पीएम मोदी ने एक्स हैंडल के जरिए देशवासियों को मां कात्यायनी स्वरूप की आराधना का मर्म समझाते हुए एक पोस्ट किया. लिखा- मां दुर्गा का आशीर्वाद भक्तों के जीवन में नई ऊर्जा और नया संकल्प लेकर आता है. इसके साथ ही, पीएम मोदी ने रोज की तरह आस्थावानों से एक अपील की कि वे देवी भजन सुनकर लाभांवित हों. उन्होंने आगे लिखा, अनुराधा पौडवाल जी का यह देवी भजन आपको भक्ति भाव से भर देगा. वहीं, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने रोज की तरह मां के मंत्र से पोस्ट की शुरुआत की. लिखा- चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना. कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी. यह भी पढ़ें : Waqf Amendment Bill: वक्फ बिल पास कर भारत सरकार ने साहसिक कदम उठाया, गरीब मुसलमानों को होगा फायदा; मौलाना शाहबुद्दीन रजवी

इसके बाद उन्होंने आदिशक्ति का आवाहन करते हुए आगे लिखा- आदिशक्ति मां दुर्गा के षष्ठ स्वरूप, महिषासुरमर्दिनि, मां कात्यायनी भय, रोग एवं शोक-संतापों को हरने वाली हैं. आदिशक्ति मां कात्यायनी की कृपा से जगत का कल्याण हो, सभी का जीवन अरोग्यमय हो, सुख एवं समृद्धि से परिपूर्ण हो, यही प्रार्थना है.

नवरात्र के छठे दिन मां के कात्यायनी स्वरूप का पूजन होता है. देवी भागवत पुराण के अनुसार, महर्षि कात्यायन ने मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी. महर्षि चाहते थे कि मां भगवती उनके यहां पुत्री रूप में जन्म लें. मां महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न हुईं और पुत्री रूप में जन्म लेने का वरदान दिया. महर्षि कात्यायन के यहां जन्म लेने की वजह से मां भगवती का नाम कात्यायनी पड़ा. माता कात्यायनी का रंग स्वर्ण की भांति दमकता है और वह चार भुजाओं से सुसज्जित हैं. माता की दाएं हाथ की ऊपर वाली भुजा अभय मुद्रा में और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है. बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में तलवार तो नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है. माना जाता है कि मां का ध्यान लोगों के कष्ट हर लेता है. सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मन में उपजे सभी तरह के कुविचार दूर हो जाते हैं.