मुंबई, 23 मार्च : वरिष्ठ भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने मंगलवार को दावा किया कि पुलिस महकमे में तबादले और पोस्टिंग में ‘बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार’ को लेकर खुफिया विभाग की रिपोर्ट पर महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार ने कार्रवाई नहीं की और उन्होंने मामले की सीबीआई जांच (CBI investigation) की मांग की. उनका दावा है कि खुफिया विभाग ने कॉल रिकॉर्डिंग (Call recording) के आधार पर यह रिपोर्ट दी थी. पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने दावा किया कि तत्कालीन खुफिया आयुक्त रश्मि शुक्ला द्वारा इजाजत लेकर फोन रिकॉर्ड किए गए थे और कॉल पर की गई बातचीत का ‘6.3 जीबी डेटा’ उनके पास है जिसमें कई अहम पुलिस अधिकारियों के नामों पर चर्चा की गई थी. भाजपा नेता ने कहा कि इन सभी फोन कॉल को राज्य सरकार से उचित अनुमति लेकर शुक्ला ने रिकॉर्ड किया था लेकिन अगस्त 2020 में मुख्यमंत्री (उद्धव ठाकरे) को रिपोर्ट सौंपने के बावजूद रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. उन्होंने कहा, “ मैं इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग कर रहा हूं.” फडणवीस पर पलटवार करते हुए एमवीए का हिस्सा राकांपा ने कहा कि भाजपा लोगों को ‘गुमराह’ कर रही है.
फडणवीस ने यहां पत्रकारों से कहा, “ तत्कालीन खुफिया आयुक्त रश्मि शुक्ला की रिपोर्ट में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, आईपीएस अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं समेत अन्य के नामों का उल्लेख किया गया है. यह बहुत संवेदनशील सूचना है, इसलिए मैं फिलहाल इसका खुलासा नहीं कर रहा हूं.” विपक्ष के नेता ने यह भी कहा कि जब वह राज्य के मुख्यमंत्री थे, तब उन्हें 2017 में गुप्त सूचना मिली थी कि पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण के संबंध में पुलिस के कुछ अफसर एक होटल में बैठक कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “ यह एक गिरोह का हिस्सा था और पूरी तरह से अवैध था. इसलिए छापा मारा गया और गिरफ्तारियां की गईं.” फडणवीस जब मुख्यमंत्री थे तब उनके पास गृह विभाग का जिम्मा भी था. भाजपा नेता ने कहा, “खुफिया विभाग की आयुक्त रश्मि शुक्ला को इसी तरह की गतिविधि के बारे में पता चला था और उन्होंने गृह विभाग के एसीएस (अतिरिक्त मुख्य सचिव) से उचित अनुमति मांगी थी और कई पुलिस अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं के फोन कॉल रिकॉर्ड किए.” फडणवीस ने दावा किया, “ 6.3 जीबी डेटा में बातचीत अकेले गृह और पुलिस विभाग को लेकर है. जिन सभी अफसरों की फोन कॉल रिकॉर्ड की गई थी, उन्हें वे पद मिल गए थे जिसके लिए उन्होंने लॉबिंग की थी. यह साबित करता है कि शुक्ला द्वारा रिकॉर्ड की गई फोन कॉल में अहम विवरण है.” इस बीच महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर ने कहा कि राज्य की मौजूदा स्थिति राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए उपयुक्त है. यह भी पढ़ें : Maharashtra: मनसुख हिरेन हत्या मामले में ATS ने दमन से वॉल्वो कार जप्त किया
उन्होंने कहा, “ जिस तरह से सरकार काम कर रही है, वह राज्य को अराजकता की ओर ले जा रहा है.” पलटवार करते हुए राकांपा के प्रवक्ता और राज्य में मंत्री नवाब मलिक ने फडणवीस के दावों को खारिज करते हुए इन्हें ‘ एमवीए सरकार को गिराने की एक और कोशिश’ बताया. उन्होंने कहा, “ भाजपा सत्ता के बिना नहीं जी सकती है. लेकिन वे इस सरकार को नहीं गिरा पाएंगे जैसे उन्होंने मध्यप्रदेश, कर्नाटक और कुछ अन्य राज्यों की सरकारों को गिराया है. भाजपा का राज्य नेतृत्व एमवीए सरकार की छवि खराब करने और उसे गिराने के लिए केंद्र की मदद ले रहा है.” फडणवीस के इन आरोपों पर कि कुछ पुलिस अधिकारियों ने अपनी पोस्टिंग को लेकर जोड़तोड़ किया था, मलिक ने कहा, “ मेरे पास रश्मि शुक्ला की रिपोर्ट का विवरण है. उन्होंने कुछ पुलिस अधिकारियों के बीच फोन पर बातचीत का उल्लेख किया है जिन्होंने अहम पद हासिल करने के लिए रिश्वत दी थी लेकिन वह नहीं हुआ.” यह भी पढ़ें : पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के ‘लेटर-बम’ से महाराष्ट्र की सियासत में उफान, BJP नेता देवेंद्र फडणवीस ने किया एक और बड़ा खुलासा
मलिक ने फडणवीस पर शुक्ला की रिपोर्ट पर झूठ बोलने और लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया. फडणवीस के "6.3 जीबी डेटा" की बातचीत होने के दावे पर मलिक ने कहा, “ भाजपा आटे से ज्यादा डेटा को लेकर चिंतित है. फडणवीस द्वारा दी गई यह जानकारी बड़ी साजिश का हिस्सा है. उनका पूरी तरह से पर्दाफाश हो चुका है.” मलिक ने कहा कि पुलिस प्रतिष्ठान बोर्ड की मंजूरी के बिना किसी भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का तबादला नहीं किया गया है.उन्होंने कहा, “ फडणवीस किसी के साथ भी डेटा साझा करें . रश्मि शुक्ला द्वारा यह अवैध तरीके से इकट्ठा किया गया था और अगर फडणवीस किसी के साथ डेटा साझा करते हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी. मैं उन्हें डेटा को सार्वजनिक करने की चुनौती देता हूं.” मलिक ने आरोप लगाया कि शुक्ला भाजपा के एजेंट के तौर पर काम कर रही थी. मंत्री ने कहा, “ उन्होंने अवैध तरीके से कॉल रिकॉर्ड की थीं और इसलिए सज़ा के तौर पर उनका तबादला किया गया था.”