दहेज की मांग पर FIR नहीं होने का मतलब यह नहीं कि आरोप झूठे हैं: कलकत्ता हाईकोर्ट का कड़ा संदेश

"शादी बचाने की कोशिश में महिलाएं चुप रह जाती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि दहेज प्रताड़ना के आरोप बेबुनियाद हैं." कलकत्ता हाईकोर्ट ने ये अहम टिप्पणी उस वक्त की जब वह एक पत्नी की मौत के मामले में पति को दोषी ठहराते हुए उसकी सजा को बरकरार रख रहा था.

कोलकाता हाई कोर्ट (Photo: File Photo)

कोलकाता: "शादी बचाने की कोशिश में महिलाएं चुप रह जाती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि दहेज प्रताड़ना के आरोप बेबुनियाद हैं." कलकत्ता हाईकोर्ट ने ये अहम टिप्पणी उस वक्त की जब वह एक पत्नी की मौत के मामले में पति को दोषी ठहराते हुए उसकी सजा को बरकरार रख रहा था. यह मामला सिर्फ एक हत्या का नहीं, बल्कि एक नवजात शिशु से मां की ममता छीन लेने का भी है. आरोपी पति कृष्ण तिवारी ने अपनी पत्नी को बच्चे के जन्म के तीन दिन बाद पीटा, जिससे उसकी मौत हो गई.

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हत्या, दहेज प्रताड़ना और सबूत मिटाने की कोशिश

कोर्ट के अनुसार, कृष्ण तिवारी ने पत्नी की मौत के बाद चुपचाप उसका अंतिम संस्कार करने की कोशिश की, ताकि सच्चाई सामने न आ सके. लेकिन वह इसमें असफल रहा, और अदालत ने उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 498A (दहेज प्रताड़ना) और सबूत मिटाने की कोशिश के आरोपों में दोषी पाया.

FIR नहीं होने का मतलब आरोप झूठे नहीं

अदालत ने एक महत्वपूर्ण सामाजिक पहलू पर रोशनी डाली. जजों ने कहा, "हमारे समाज में, अक्सर महिलाएं और उनके परिवार दहेज की मांग के बावजूद FIR दर्ज नहीं कराते क्योंकि वे शादी को बचाना चाहते हैं. इसका मतलब यह नहीं कि उनके आरोप झूठे हैं." यह टिप्पणी उन सभी मामलों के लिए उदाहरण बनती है, जहां महिलाएं सामाजिक दबाव और रिश्ते की मजबूरी में अन्याय सहती रहती हैं.

मां की ममता से वंचित हुआ नवजात

कोर्ट ने यह भी कहा कि कृष्ण तिवारी ने सिर्फ अपनी पत्नी की हत्या नहीं की, बल्कि उस मासूम बच्चे को उसकी मां की देखभाल और ममता से जीवनभर के लिए वंचित कर दिया.

आरोपी की दलील खारिज

कृष्ण तिवारी ने दावा किया कि उसकी पत्नी बिस्तर से गिर गई थी जिससे उसकी मौत हुई, लेकिन कोर्ट ने इस दावे को खारिज कर दिया. अदालत ने कहा कि जब आरोपी घटना के वक्त घर में ही मौजूद था, तो उसे यह बताना होगा कि पत्नी के शरीर पर चोट के निशान कैसे आए.

सबूत नष्ट करने की कोशिश भी साबित

हालांकि अदालत ने कहा कि चूंकि शव को जलाने में वह सफल नहीं हो पाया, इसलिए उसे IPC की धारा 201 (सबूत नष्ट करने की कोशिश) में दोषी माना गया, न कि पूरी तरह सबूत नष्ट करने का दोषी.

जरूरतमंदों के लिए हेल्पलाइन नंबर

अगर आप या आपके जानने वाले किसी महिला या बच्चे को दहेज, हिंसा या अन्य घरेलू उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं, तो इन हेल्पलाइन नंबरों पर तुरंत संपर्क करें: महिला हेल्पलाइन – 181, चाइल्डलाइन इंडिया – 1098, गुमशुदा महिला और बच्चा – 1094, नेशनल वुमन हेल्पलाइन – 112 / 7827170170, पुलिस महिला और वरिष्ठ नागरिक हेल्पलाइन – 1091 / 1291

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