शारदा चिटफंड घोटाला: आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार को कलकत्ता हाईकोर्ट से बड़ी राहत, मिली अग्रिम जमानत
आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार

कोलकाता: कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को शारदा पोंजी घोटाला मामले में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के वरिष्ठ अधिकारी राजीव कुमार (Rajeev Kumar) को अग्रिम जमानत दे दी.कुमार फिलहाल पश्चिम बंगाल अपराध जांच विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक हैं. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने उन्हें 50 हजार रुपये के निजी मुचलके और दो लोगों को बतौर जमानत पेश करने की शर्त पर अग्रिम जमानत प्रदान की. न्यायमूर्ति एस. मुंशी और न्यायमूर्ति एस. दासगुप्ता की पीठ ने राजीव कुमार को आदेश दिया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जब भी उन्हें करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच से संबंधित पूछताछ के लिए बुलाए, उन्हें पेश होना होगा. साथ ही अदालत ने सीबीआई से कहा कि जब भी वह जांच के लिए उनसे पूछताछ करना चाहें तो कुमार को 48 घंटे का एक नोटिस दें.

न्यायाधीशों ने पूछताछ के इस चरण में कुमार की हिरासत के लिए सीबीआई की याचिका को योग्य नहीं पाया। अदालत ने कहा कि अगर जांच एजेंसी ने उन्हें इस मामले में गिरफ्तार किया तो उन्हें तुरंत जमानत दी जाएगी. अदालत ने हालांकि कहा कि सीबीआई इस आदेश के खिलाफ इससे ऊपर की न्यायपालिका में अपील करने के लिए स्वतंत्र है. कुमार ने 24 सितंबर को खंडपीठ के समक्ष अपनी अग्रिम जमानत की अर्जी दी थी. आईपीएस अधिकारी के वकील के आग्रह पर सुनवाई बंद कमरे में हुई. अलीपुर जिला एवं सत्र न्यायालय ने 21 सितंबर को कुमार की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. यह भी पढ़े: कोलकाता के पूर्व कमिश्नर राजीव कुमार पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार, CBI ने बनाई स्पेशल टीम- कोर्ट से भी नहीं मिली राहत

इससे पहले सीबीआई ने अलीपुर अदालत में कुमार के खिलाफ एक गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी करने के लिए याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त को जरूरत महसूस होने पर सीबीआई द्वारा कानून के अनुसार गिरफ्तार किया जा सकता है. सीबीआई ने मई में कुमार को एक नोटिस भेजा था, जिसमें कहा गया था कि वह उसके समक्ष पेश हों. इसके बाद सभी हवाईअड्डों और आव्रजन अधिकारियों ने कुमार के देश छोड़ने के खिलाफ एक लुकआउट नोटिस जारी किया था.

शारदा घोटाला अप्रैल 2014 में सामने आया था. इस समूह की कंपनियों ने जमाकर्ताओं को भुगतान नहीं किया और बंगाल भर में एक के बाद एक दुकानें बंद कर दीं। इसमें मुख्य रूप से गरीब लोगों के रुपये लगे थे, जिन्हें भारी रिटर्न का लालच दिया गया था. जैसे ही कंपनी का भंडाफोड़ हुआ, पूरे राज्य में एजेंटों और निवेशकों द्वारा आत्महत्याओं और विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया. शारदा ग्रुप के प्रमोटर सुदीप्त सेन और उनके निकट सहयोगी देबजानी मुखर्जी अब सलाखों के पीछे हैं.