दिसपुर: नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Act 2019) विरोध में असम, त्रिपुरा, नगालैंड समेत पूर्वोत्तर के कई राज्यों में विरोध-प्रदर्शन शनिवार को भी जारी रहा. हालांकि शनिवार को हिंसक वारदातों की खबर नहीं आई. असम का हिंसक आंदोलन शनिवार को कुछ काबू में दिखाई दिया. शनिवार को गुवाहाटी को साथ घंटों के लिए कर्फ्यू से छूट दी गई थी. इस दौरान शहर से किसी हिंसा की खबर नहीं आई. रविवार को गुवाहाटी में कर्फ्यू में सुबह 9 बजे से 6 बजे तक नौ घंटे के लिए ढील दी जाएगी. हालांकि इंटरनेट सेवा बंद रहेगी. गुवाहाटी में शनिवार को कर्फ्यू में ढील मिली, तो सड़कों और बाजारों में लोग पहले की तरह अपना काम करते दिखे.
असम के दूसरे हिस्सों से भी विरोध की हिंसामुक्त खबरें आईं. हालांकि ऑल असम स्टूडेंट यूनियन का आंदोलन जारी है. राज्य में मौजूदा स्थिति के मद्देनजर कानून- व्यवस्था बनाए रखने के लिए इंटरनेट सेवाओं को बढ़ा कर सोमवार तक बंद की गई हैं. बता दें कि इंटरनेट सेवाओं को शुरुआत में राज्य के 10 जिलों में बुधवार को 24 घंटे के लिए निलंबित किया गया था. हिंसात्मक विरोध को देखते हुए प्रशासन ने समूचे राज्य में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी.
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GP Singh, Additional DGP Law & Order, Assam: Curfew being relaxed today in Guwahati from 9 am to 6 pm #Assam pic.twitter.com/njjsqfZSwG
— ANI (@ANI) December 15, 2019
विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए सीएसआईआर-यूजीसी नेट (CSIR-UGC NET) की संयुक्त परीक्षा स्थगित कर दी गई है. इस मामले में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने कहा है कि 15 दिसंबर को होने वाले सीएसआईआर-यूजीसी नेट की संयुक्त परीक्षा स्थगित कर दी गई है. परीक्षा की अगली तारीख की घोषणा जल्द ही की जाएगी. इसके अलावा मेघालय की राजधानी शिलांग में होने वाली परीक्षा भी टाल दी गई है.
क्या है नागरिकता (संशोधन) विधेयक-
नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 (Citizenship Amendment Bill 2019) राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) की मंजूरी के साथ ही गुरुवार देर रात से देशभर में लागू हो गया. इस नए कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने वाले गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक प्रवासियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी.
नागरिकता कानून सोमवार को लोकसभा और बुधवार को राज्यसभा में पारित हुआ. इसके तहत हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के सदस्य, जो 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हैं और वहां धार्मिक उत्पीड़न का सामना किया है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी.