गर्मी शुरू होते ही जल संकट में Bundelkhand,प्रशासन ने Tube well की Mining पर लगाईं रोक
भोपाल: बुंदेलखंड वह इलाका है जिसकी पहचान सूखा, पेयजल संकट, पलायन और बेरोजगारी के चलते रही है. हालातों में बदलाव लाने की लंबे अरसे से कोशिश चल रही है, मगर गर्मी में यहां जल संकट आम बात है. इस बार भी जल संकट की आहट सुनाई देने लगी है. यही कारण है कि छतरपुर जिला प्रशासन ने नलकूप खनन पर रोक लगाने के साथ इसे जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र भी घोषित कर दिया है.
भोपाल: बुंदेलखंड वह इलाका है जिसकी पहचान सूखा, पेयजल संकट, पलायन और बेरोजगारी के चलते रही है.हालातों में बदलाव लाने की लंबे अरसे से कोशिश चल रही है, मगर गर्मी में यहां जल संकट आम बात है.इस बार भी जल संकट की आहट सुनाई देने लगी है. यही कारण है कि छतरपुर जिला प्रशासन ने नलकूप खनन पर रोक लगाने के साथ इसे जल अभाव ग्रस्त क्षेत्र भी घोषित कर दिया है.
बुंदेलखंड में कुल 14 जिले आते हैं, जिसमें से सात जिले मध्य प्रदेश और सात उत्तर प्रदेश में हैं.इनमें से कई जिले हर साल पानी के संकट से दो चार होते हैं.
इस क्षेत्र की स्थिति सुधारने के लिए मनमोहन सरकार ने 76 सौ करोड़ का विशेष पैकेज मंजूर किया था, मगर कुछ खास सुधार नहीं हुआ. यह भी पढ़े :Vrindavan Temple: मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में बड़ा हादसा, भीड़ में दम घुटने से एक श्रद्धालु की मौत
उसके बाद कई सिंचाई योजनाएं मंजूर हुईं और अब केन-बेतवा लिंक परियोजना को जमीन पर उतारने की कोशिश चल रही है.इससे पानी के संकट से पूरी तरह मुक्ति की आस जागी है.
यहां गर्मी की शुरुआत मार्च माह से ही हो गई है और पानी का संकट गहराने का अंदेशा सताने लगा है.कई क्षेत्रों के जल स्रोतों में पानी की उपलब्धता कम हो गई है. इससे पेयजल के अलावा दूसरी जरुरतों के लिए पानी का मिल पाना मुश्किल होने जा रहा है.
हर साल कई जिलों को जल अभाव क्षेत्र घोषित किया जाता है ताकि पानी के दुरुपयोग के साथ नलकूप के खनन को रोका जा सके.
छतरपुर जिले में इस वर्ष औसत से कम वर्षा होने के कारण जल स्त्रोतों में पानी की कमी नजर आने लगी है. इसलिए जलाशय एवं हैंडपंप में पानी का जल स्तर गिर रहा है.
इसी के चलते कलेक्टर संदीप जी.आर. ने पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 की धारा (3) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुये जल प्रदाय सुरक्षित रख कर जिले को अगली बरसात आने तक अथवा अन्य आदेश तक जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित किया है.अब कोई भी व्यक्ति पेयजल स्त्रोत का उपयोग सिंचाई साधन एवं व्यावसायिक उपयोग में बिना कलेक्टर की अनुमति से नहीं करेगा.
जल स्त्रोत हैंडपंप अथवा ट्यूबवेल से 200 मीटर परिधि में अन्य हैंडपंप अथवा ट्यूबवेल का उत्खनन नहीं करेगा एवं किसी भी निस्तारी तालाब के पानी का उपयोग सिंचाई एवं व्यावसायिक कार्य हेतु नहीं होगा.
शासकीय विभागों द्वारा खनित नलकूपों को छोड़कर शेष सभी प्रकार के नलकूपों का खनन प्रतिबंधित रहेगा.
उन्होंने कहा कि जल स्तर को बढ़ाने के लिए अनेक कार्य किए गए हैं, जिनके सार्थक परिणाम हो सकते हैं.इसके साथ ही ऐसे जल स्त्रोत जिनमें पर्याप्त पानी है, इनके पास किसी खनन न कराया जाए. इस पर तुरंत कार्रवाई होगी.