नई दिल्ली: पूरे देश की निगाहें अब मंगलवार को पेश होने वाले केंद्रीय बजट (Union Budget 2024) पर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व वाली मोदी 3.0 का पहला बजट (Budget 2024) 23 जुलाई को पेश होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सुबह 11 बजे संसद में इसे पेश करेंगी. . इस बजट से देश के करोड़ों लोगों को बड़ी उम्मीद है. इससे पहले सोमवार को संसद का बजट सत्र भी शुरू हो गया. बजट सत्र के पहले दिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट देश के सामने रखी. 8th Pay Commission: बजट में 8वें वेतन आयोग की घोषणा करेंगी निर्मला सीतारमण? 23 जुलाई पर टिकी हैं केंद्रीय कर्मचारियों की निगाहें.
बजट का नाम याद आते ही दिमाग में सबसे पहले दिमाग में इनकम टैक्स आता है. मोदी 3.0 के इस पहले बजट से मिडिल क्लास की उम्मीदें बढ़ गई है. इस बार टैक्सपेयर्स को उम्मीद है कि वित्त मंत्री कोई गुड न्यूज जरूर देंगी. टैक्सपेयर्स, सरकार से आयकर में बड़ी छूट चाहते हैं. फिलहाल, 7 लाख की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है और संभावना है कि सरकार इसे और बढ़ा दे.
तीसरी पारी में मिलेगी राहत?
बजट 2024 से उम्मीद है कि टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत मिल सकती है. माना जा रहा है कि सरकार टैक्स स्लैब में बदलाव, न्यू टैक्स रिजीम को आकर्षक बनाने की कोशिश की जा सकती है. नौकरीपेशा लोगों को उम्मीद है कि इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत कटौती सीमा को बढ़ाने का प्रस्ताव है. टैक्सपेयर्स को उम्मीद है कि न्यू टैक्स रिजीम में इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव किया जाएगा.
उम्मीद की जा रही है कि सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन में बदलाव कर राहत दे सकती है. स्टैंडक्ड डिडक्शन की रकम को 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख सालाना करने पर विचार कर सकती है.
पिछले बजट में टैक्स को लेकर हुए थे ये बदलाव
वित्त मंत्री ने पिछले साल बजट में न्यू टैक्स रिजीम को 5 लाख से बढ़ाकर 7 लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया था. यानी नई टैक्स व्यवस्था में अब 7 लाख रुपये सालाना तक कमाने वाले टैक्सपेयर्स के ऊपर इनकम टैक्स की देनदारी नहीं बनती है. उसके साथ ही इनकम टैक्स स्लैब में भी बदलाव किए गए थे. टैक्स स्लैब की संख्या घटाकर 5 की गई थी.
रिवाइज्ड स्लैब के बाद अब नई टैक्स व्यवस्था में 0 से 3 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं है. वहीं 3 से 6 लाख रुपये तक की आय पर 5 फीसदी, 6 से 9 लाख रुपये तक की आय पर 10 फीसदी, 9 से 12 लाख रुपये तक की आय पर 15 फीसदी, 12 से 15 लाख रुपये तक की आय पर 20 फीसदी और 15 लाख रुपये से ऊपर की सालाना कमाई पर 30 फीसदी की दर से देनदारी बनती है.