हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को केंद्रीय बजट को निराशाजनक और आम आदमी की उम्मीदों के विपरीत बताया. सीएम ने कहा कि इच्छित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बजट महज एक कपटी चाल है. इस बजट में समाज के किसी भी वर्ग के लिए कुछ भी नहीं है. सीएम सुक्खू ने कहा कि बजट में महंगाई और बेरोजगारी को नियंत्रित करने के तरीकों के बारे में बात नहीं की गई है. मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग 2014 में भाजपा द्वारा लुभाए गए 'अच्छे दिनों' का इंतजार कर रहे थे. केंद्र सरकार ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले किए गए वादों को पूरा करने का एकमात्र अवसर खो दिया है. यह भी पढ़ें: भारत को ‘विश्च गुरु’ बनाने की राह पर बढ़ाएगा यह बजट- उद्योग जगत
बजट में रोजगार के क्षेत्र पर ²ष्टि का अभाव है और इस दिशा में कोई उचित सोच नहीं है. बजट में शहरी रोजगार और किसानों का कोई उल्लेख नहीं है जो ऋण सीमा बढ़ाने की उम्मीद कर रहे थे. खेती के उपकरण या उर्वरकों पर सब्सिडी की कोई घोषणा नहीं की गई.
सीएम ने आगे कहा कि ग्रामीण रोजगार के अवसरों की पूरी तरह से अनदेखी हो गई है. मनरेगा आवंटन में कोई वृद्धि नहीं की गई। इसके अलावा सीएम ने कहा कि बजट में राज्य के लिए कुछ भी अनुमानित नहीं किया गया है. रेल बुनियादी ढांचे के विस्तार और राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए कोई आवंटन नहीं है. यहां तक कि आयकर स्लैब में बदलाव भी लोगों की उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे क्योंकि इससे मध्यम वर्ग को कोई राहत नहीं मिली.
उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग पूरी तरह से निराश और नाखुश है, क्योंकि उन्हें टैक्स स्लैब में और राहत की उम्मीद थी। यह अमीरों को और अमीर और गरीबों को और गरीब बनाने वाला बजट है.
उन्होंने कहा कि कर्ज के बोझ तले दबे राज्यों के लिए किसी विशेष अनुदान की घोषणा नहीं की गई है. हिमाचल ही नहीं, कई अन्य राज्य भी उसी नाव में सवार हैं और कर्ज में डूबे हुए हैं. हमें पिछली सरकार से लगभग 75,000 करोड़ रुपये का कर्ज का बोझ विरासत में मिला है, इसके अलावा कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को बकाया राशि का भुगतान करने की देनदारी थी। उन्होंने कहा कि बजट में छोटे पहाड़ी राज्यों को जून 2022 से जीएसटी की प्रतिपूर्ति का कोई जिक्र नहीं है.