विभिन्न सेक्टरों को मोदी सरकार से हैं ये उम्मीदें!
शुक्रवार को लोकसभा में पेश होगा बजट

नई दिल्ली: वित्त मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) शुक्रवार को लोकसभा में अंतरिम बजट (Interim Budget) पेश करेंगे. इस बजट से विभिन्न सेक्टरों की अपनी-अपनी उम्मीदें हैं. पॉलिसीबाजार डॉट कॉम समूह के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी यशीश दहिया ने कहा, "बजट में आयकर अधिनियम (80सी के अतिरिक्त) के अंतर्गत एक अलग सेक्शन की शुरुआत की उम्मीद है, जो प्योर लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर टैक्स राहत दे और प्योर प्रोटेक्शन प्लान पर जीएसटी में छूट प्रदान करे."

उन्होंने कहा, "किसी भी प्रकार के प्योर रिस्क इंश्योरेंस -टर्म लाइफ, हेल्थ, होम आदि की खरीदारी से उपभोक्ता को अचानक आने वाले जोखिम से सुरक्षा मिलती है और उनके लिए कुल आर्थिक लाभ में वृद्धि होती है. हम सरकार से आग्रह करते हैं कि ऐसी प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए ऐसी खरीदारियों पर जीएसटी घटाकर शून्य किया जाना चाहिए. इससे ग्राहकों के लिए इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स अधिक अनुकूल और आकर्षक बनेंगे और अधिक से अधिक लोग इंश्योरेंस खरीद सकेंगे."

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तेल एवं ऊर्जा क्षेत्र की ओर से बायोडी एनर्जी (इंडिया) प्रा. लि. के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शिवा विग ने कहा, "बायोफ्यूल इंडस्ट्री की अच्छी वृद्धि और असीम संभावना को देखते हुए इसमें निवेश पर जोर दिया जाए. इस प्रकार की इकाइयों के अवसंरचना के विकास के लिए अलग से विशेष फंड बनाए जाएं. बायोफ्यूल/बायोडीजल संयंत्र लगाने के लिए आवश्यक मशीनों के आयात पर शुल्क शून्य कर दिया जाए. बायोफ्यूल/बायोडीजल संबंधी सभी उत्पादों पर जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) की न्यूनतम दर 5 फीसदी लागू किया जाए."

रियल एस्टेट सेक्टर के लिए, रियलिस्टिक रियलटर्स के अध्यक्ष हरजिन्दर सिंह ने कहा, "जीएसटी में कटौती करते हुए इसकी दर को 12 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी करना सबसे जायज मांग है. स्टैम्प ड्यूटी को भी जीएसटी के दायरे में लाया जाए, ब्याज कटौती की सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर 3 लाख या उससे अधिक किया जाए. रियल एस्टेट को इंफ्रास्ट्रक्च र सेक्टर का दर्जा देने की मांग सबसे बड़ी मांग है और ये इस पूरे सेक्टर की हालत को बदल सकती है, क्योंकि इससे कम दरों पर फंड्स प्राप्त करने में मदद मिलेगी और सेक्टर के प्रत्येक हिस्से को लाभ होगा."

टैक्स एडवाइजरी कंपनी बीडीओ इंडिया एलएलपी के पार्टनर सूरज मलिक ने बजट को लेकर शेयर बाजार के निवेशकों को सलाह देते हुए कहा, "चुनाव या बजट का शेयर बाजार से सीधा संबंध नहीं है. क्योंकि मार्केट चार दिन के हिसाब से नहीं चलता है. मार्केट हमेशा एक तिमाही आगे चलता है. ऐसे में मार्केट ने बजट को पहले से ही फैक्टर कर लिया है. ऐसे में आज अगर कोई इंवेस्टमेंट करना चाह रहा है तो उससे कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा. वैसे भी यह बजट अंतरिम बजट है, तो लोगों को इससे न कोई फायदा और न किसी नुकसान की उम्मीद रखनी चाहिए. निवेशकों को अगले छह महीने में होने वाले छोटे से छोटे डेपलपमेंट पर नजर रखनी चाहिए. जैसे ही कच्चे तेल के दाम कम होते हैं और ब्याज दरों में कटौती होती है, वैसे में दीर्घकालिक निवेशकों को शेयर बाजार से बड़ा फायदा मिल सकता है."

एडिलवीस सिक्युरिटीज लि. के प्रमुख (फोरेक्स और रेट्स) सजल गुप्ता ने कहा, "बजट में राजकोषीय घाटा पर दवाब पड़ने की उम्मीद है, जो कि जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 3.3 फीसदी लक्ष्य से 0.2 फीसदी से लेकर 3.5 फीसदी तक चूक सकती है. जीएसटी संग्रह में बड़े पैमाने पर गिरावट के कारण शेयर बाजार में पहले से ही गिरावट का दौर जारी है. क्योंकि संभावना है कि चुनावों को देखते हुए सरकार योजनाओं पर अधिक खर्च करेगी और राजकोषीय घाटे की परवाह नहीं करेगी. हालांकि आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) अगर प्रमुख ब्याज दरों में कटौती करता है, तो इससे बाजार को सहारा मिल सकता है."

माना जा रहा है कि गोयल विभिन्न श्रेणियों को छूट और राहत प्रदान कर इस बार लेखानुदान की परंपरा तोड़कर पूर्ण बजट पेश करेंगे.